Gour Utsav 2021- केंद्रीय विश्वविद्यालय से जो लाभ मिलने थे नहीं मिले -कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह

Gour Utsav 2021- केंद्रीय विश्वविद्यालय से जो लाभ मिलने थे नहीं मिले -कैबिनेट मंत्री भूपेंद्र सिंह

सागर,मप्र/ 26 नवंबर
/ मप्र के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री का कहना है कि वो निःसंकोच कह सकते हैं कि डॉ. हरिसिंह केन्द्रीय विश्वविद्यालय को केन्द्रीय दर्जा मिलने से स्थानीय लोगों को जो लाभ मिलने थे वो नहीं मिल सके हैं। इसकी वजह विश्वविद्यालय में जिस तरह के कुलपति आने थे उस तरह के कुलपति यहां नहीं आए। इस विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में पचास फीसदी स्थान स्थानीय विद्यार्थियों को आरक्षित किए जाने चाहिए।

 मप्र के सबसे पुराने विश्वविद्यालय सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक डॉ. हरिसिंह गौर की 152 जयंती के अवसर पर डॉ. हरिसिंह केन्द्रीय विश्वविद्यालय के परिसर में आयोजित गौर-उत्सव कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने आए मप्र शासन के केबिनेट मंत्री ने अपने उद्बोधन में कहा कि दानवीर के रूप मे महाभारत के किरदार कर्ण के बाद अगर किसी का नाम लिया जा सकता है तो वह डॉ. हरिसिंह गौर ही हैं जिनके दान से सागर  विश्वविद्यालय  की स्थापना हुई। राजा कर्ण के बाद इतिहास में ऐसे उदाहरण नहीं मिलते हैं।

केबिनेट मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने बताया कि मप्र के पहले विश्वविद्यालय सागर विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय  बनवाने के लिए लंबे समय तक चले छात्र आंदोलन में उन्हों ने भी शिरकत थी। जब आंदोलन चल रहा था तब वह छात्रसंघ के सचिव थे। उन्होंने कहा कि इस आंदोलन के चलते उन्हें सात महीने तक प्रदेश की विभिन्न जेलों में रहने का अवसर मिला।

उन्होंने अफसोस जताया कि सागर विश्वविद्यालय के केन्द्रीय बनने के बाद स्थानीय लोगों को जो लाभ मिलने थे वो नहीं मिल सके। इसकी वजह केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनने के बाद विश्वविद्यालय में जिस तरह के कुलपति आना थे उस तरह के कुलपति यहां नहीं आए। उन्होंने कहा कि हालांकि विश्वविद्यालय की नवनियुक्त कुलपति नीलिमा गुप्ता स्थानीय लोगों की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में बढ़ रहीं हैं।

उन्होंने कहा कि डॉ हरिसिंह गौर चाहते तो नागपुर, दिल्ली कहीं भी विश्वविद्यालय स्थापित कर सकते थे लेकिन उन्होंने बुंदेलखंड की गरीबी व अशिक्षा को घ्यान में रख कर सागर में ही विश्वविद्यालय स्थापित किया। उनको भरोसा था कि यहां विश्वविद्यालय शुरू होने से अंचल की गरीबी व अशिक्षा दूर होगी। उन्होंने कहा कि देश दुनिया में नाम कमा रहें लोगों में से कई लोग तो इस क्षेत्र  अगर विश्वविद्यालय न होता तो शायद आगे की पढ़ाई ही पूरी नहीं कर पाते।

सागर देश का 18 वां विश्वविद्यालय था व यहां ऐसे विषय में पढ़ाई शुरू हुई जो विषय देश की किसी भी अन्य यूनिवर्सिटी में नहीं पढ़ाए जाते थे। इतना ही नहीं डॉ गौर इन विषयों को पढ़ाने के लिए दुनिया के जाने-माने शिक्षकों को विश्वविद्यालय लेकर आए। जिनमें विश्वविख्यात डॉ वेस्ट जैसे प्रोफेसर का भी नाम शामिल है। 

उन्होंने कहा कि डॉ हरिसिंह गौर ने कभी नहीं चाहा कि विश्वविद्यालय उनके नाम से जाना जाए। उन्होंने अपनी वसीयत में भी इस बात का  जिक्र किया था । लेकिन राजनैतिक कारणों से सागर विश्वविद्यालय का नाम बदल कर उनके नाम पर कर दिया गया। नाम बदले जाने के पहले सारी दुनिया में यह विश्वविद्यालय को सागर विश्वविद्यालय के रूप में ही जाना जाता था।

उन्होंने कहा कि डॉ गौर का सपना था कि बुंदेलखंड के विद्यार्थी पढ़ें उन्हें अच्छी शिक्षा मिले। उन्होंने कहा कि विश्वविद्याय के केन्द्रीय बन जाना खुशी का विषय है लेकिन स्थानीय लोगों को लाभ दिलाने के लिहाज से इस विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में पचास फीसदी स्थान स्थानीय बच्चों को आरक्षित किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि यह कोई नयी बात नहीं है ऐसी व्यवस्था बनारस विश्वविद्यालय व एएमयू (अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी) में पहले से ही चल रही है।

उन्होंने कहा कि अभी भी डॉ. हरिसिंह गौर केन्द्रीय विश्वविद्यालय के बाईलॉज (उपनियम) नहीं बनें हैं। अतः उनके बनाते समय ऐसी व्यवस्था की जा सकती हैं। उन्होंने आरक्षण के मसले पर जोर देते हुए कहा कि " सागर केन्द्रीय विश्वविद्यालय में बुंदेलखंड के विद्यार्थियों को पचास फीसदी आरक्षण मिलना ही चाहिए।"

इस मौके पर उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नई शिक्षा नीति लेकर आए हैं जो रोजगारोन्मुखी शिक्षा पर जोर देती है। इस सिलसिले में उन्होंने कुलपति से आग्रह किया कि डॉ हरि सिंह गौर  केन्द्रीय विश्वविद्यालय में भी होटल प्रबंधन, इंजीनियरिंग कॉलेज, पर्यटन शिक्षा, पेपर एंड प्लास्टिक के पाठ्यक्रम इसके अलावा फिजियोथैरैपी, क्लीनिकल पैथोलॉजी, ऐयरोस्पेस इंजीनियरिंग जैसे पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं कि सागर एड्यूकेशन का हब (शिक्षा का केन्द्र ) बने  लेकिन इसके लिए सागर को जरूरत है एक हवाई अड्डा की। उन्होंने कहा कि संयोग से इस समय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया मप्र से ही है और वो सागर में हवाई अड्डा शुरू करने के लिए कोशिश करेंगें।

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