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सोशल मीडिया पर एक चुटकुला काफी वायरल हो रहा है। चुटकला शायद हमारे पाठकों की नजरों के सामने से गुजर चुका होगा। लेकिन अजीब संयोग है कि आज के अखबार मे एक ऐसी खबर छपी है जो इस चुटकला को महज चुटकला की जगह समाज की एक ऐसी कड़वी हकीकत होने का भी अहसास कराती है जो समाज मे व्यवस्था बना रखने वालों पर नियत व सोच पर भी सवाल खड़े करती है।

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पहले चुटकला पढ़िए .“ पटवारी ने अपने नए मकान के उद्घाटन मे कलेक्टर साहब को भी आमंत्रित किया। गृह-प्रवेश  के वक्त जब कलेक्टर की बीबी ने चारों ओर नजर दौड़ाईं तो घर की शानौ-शौकत देखकर वह आवाक रह गई। उसने अपने भावों पर काबू पाते हुए पति महोदय से पूछा कि  “..ये भी कलेक्टर हैं क्या ?” कलेक्टर ने जवाब दिया   “....नहीं ये तो पटवारी हैं”  ...तब कलेक्टर की बीबी ने अपनी जिज्ञासा को न रोकते हुए पति महोदय से पूछा “...तो आपका पटवारी पोस्ट पर प्रमोशन कब होगा..?” सुना है कि कलेक्टर साहब  सवाल सुनकर ऐसे बेहोश हुए कि दो दिन बाद होश मे आ पाए।

हो सकता है कि इस चुटकुले को पढ़कर आपको खबर के मजमूंन का कुछ अहसास तो हो ही गया होगा। फिर भी हम बताते हैं

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अतुल्य भास्कर अखबार ने आज जिले के पटवारियों के कामकाज से जुड़ी एक खोजपरक खबर प्रमुखता से छापी है। खबर मे बताया गया है कि एक से ज्यादा पटवारियों के खिलाफ जमीनों के खरीद-फरोख्त मे लिप्त होने के मामले सामने आए उसके बाद भी विभाग के आला अधिकारियों ने इन खबरों को कोई तवज्जो नहीं दी।

अतुल्य भास्कर के पत्रकार ने अपनी खबर मे शहर के कुछ क्षेत्रों के पटवारियों की पहचान भी उजागर की है जो इस तरह के आरोपों से घिरे बताए जा रहे हैं। इस खास रपट मे इस बात का भी जिक्र किया गया है कि  पटवारी किस तरह राजस्व रिकार्ड मे हेर-फेर कर के भू-माफियाओं को फायदा पहुंचाते हैं व किसानों को जमीनी मामलों मे उलझा देते हैं।

खबर दमदार है और दम से प्रकाशित की गई है और  यह खोजपरक खबर सामाजिक सरोकार भी रखती है इसलिए पठनीय भी है। 

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ऐसी ही सामाजिक सरोकार रखने वाली एक खबर  बुंदेलखंड के चर्चित दैनिक अखबार “दैनिक आचरण ” में प्रकाशित हुई है । खबर मे भारतीय राष्ट्रीय-राजमार्ग प्राधिकरण की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं। संवाददाता ने बताया है कि सागर-भोपाल मार्ग पर राहतगढ़ के पास एनएचएआई ने आनन-फानन मे टोल नाका शुरू कर दिया है। जबकि टोल प्लाजा पर वाहनों से वसूल किए जाने  वाले कर के ऐवज मे मुहैया कराई जाने वाले सुविधाएं उपलब्ध ही नहीं है। खबर के माध्यम से जिम्मेदार अधिकारियों का ध्यान इस भी खींचा है कि यात्रियों को निर्धारित दर से ज्यादा टोल देना पड़ रहा है।

बुंदेलखंड चिकित्सा महाविद्यालय के चिकित्सकों द्वारा अपने साथी चिकित्सकों के खिलाफ जिला प्रशासन द्वारा अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंसा करने वाले आदेश के खिलाफ हड़ताल पर जाने के मुद्दे को सभी अखबारों ने बड़ी प्रमुखता से छापा है ।

लेकिन पत्रिका ने इस मुद्दे को बड़े ही संतुलित अंदाज में छापा है।  खबर मे तीन पहलुओं को  सामने रखा है सबसे पहले चिकित्सकों की हड़ताल के औचित्य पर चिकित्सक  बिरादरी  की राय को स्थान दिया। हड़ताल के कारण ईलाज कराने पहुंचे नागरिकों को हुई बेहिसाब तकलीफों का ब्यौरा भी छापा ।

इसके अलावा उन घटनाओं को भी विस्तार से छापा जिनके आधार पर बुंदेलखंड चिकित्सका महाविद्यालय के तीन चिकित्सकों के खिलाफ  जिला प्रशासन ने उनके पंजीयन निरस्त करने की अनुशंसा की थी व  जांच मे सहयोग नहीं करने वाले तत्कालीन अधिष्ठाता के वेतन रोके जाने की वजह को विस्तार से छापा। इससे पाठकों को पूरे घटनाक्रम का जायजा लेने मे आसानी हो सके।

नवदुनिया ने भी इस खबर को काफी अहमियत से छापा । करीब आधे पृष्ठ मे छपी इस खबर मे बुंदेलखंड चिकित्सा महाविद्यालय के चिकित्सकों की हड़ताल के कारण ग्रामीण क्षेत्र से आए मरीजों को होने वाली परेशानियों को उजागर करने के साथ-साथ खबर में हड़ताली चिकित्सकों के उग्र तेवरों को भी स्थान दिया गया।

हालांकि  विस्तार से लिखी गयीं  इन खबर मे पाठकों को चिकित्सकों के हड़ताल के बारे में प्रशासन व शहर के जागरूक नागरिकों का पक्ष भी जानने की  जिज्ञासा पूरी नहीं हो सकी।



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