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शहर ही नहीं देश भर मे कोरोना से संक्रमितों की संख्या मे तेजी से ईजाफा होता दिख रहा है। लेकिन इसके विपरीत लोगों मे कोरोना से बचने के लिए बताए जा रहे दिशा-निर्देशों के पालन  करने केे प्रति लापरवाही भी बढ़ती दिख रही है। सरकार और प्रशासन तो एक तरह से धीरे-धीरे लाॅक-डाउन  को समाप्त करतेे हुए अपनी अतिरिक्त जिम्मेदारी से भी पल्ला झाड़ते जा रहे हैं।

मिसाल के तौर पर जैसे ही  समाज के एक तबकेे से यह दबाव बढ़ा की आखिर स्कूल-काॅलेज कब तक बंद रखे जाएंगें। इससे तो बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का भारी नुकसान हो जाएगा। तो सरकार ने तुरंत फैसला दे दिया कि 21 सितंबर से आपके बच्चे स्कूल जा सकते हैं लेकिन उनके बाहर जाने से अगर वो कोरोना से संक्रमित होते हैं तो इसकी जिम्मेदारी अभिभावकों की ही होगी । इतना ही नहीं उन्हें बच्चों को बाहर जाने से पहले लिखित मे देना होगा बच्चों के बाहर जाने पर कोरोना से संक्रमित होने पर वे ही जिम्मेदार होंगें सरकार या प्रशासन नहीं ।

एक और वजह है आगामी उप-चुनाव जिसके चलते सरकार व प्रशासन को समाज के उस तबके की बातें बेहद अच्छी लग रहीं हैं जो लाॅक-डाउन जैसी पाबंदियों के हटाने के लिए लगातार आवाज उठाते रहते हैं। इसी का नतीजा है कि सरकारों ने बसों व रेलों के आवागमन को अब हरी झंडी दिखाना शुरू कर दिया है।

यह बात एक दम साफ है कि आवागमन के साधनों के शुरू होते ही कोरोना संक्रमण के फैलाव की रफ्तार भी तेजी पकड़ेगी ।इससे कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ेगी जिससे अस्पतालों पर भी दबाव बढ़ेगा। बिस्तरों, वैंटीलेटरस दवाओं की कमी होना भी शुरू होगी । इन बदले हालातों मे आम जनता की चिंता भी बढ़े बिना नहीं रह सकेगी ।

कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते जाने से निपटने के लिए सरकार-प्रशासन ने क्या इंतजाम किए हैं वह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा। लेकिन नागरिकों को इन बदलते हालातों को ध्यान मे रखते हुए अपने स्तर पर खुद को व अपने परिजनों को कोरोना के संक्रमण से बचाए रखने के लिए पूरी मुस्तैदी से काम करना होगा। इसी लिए कहा गया है कि  उपचार से बेहतर होता है बचाव । कोविड-19 से बचाव के लिए वैक्सीन जब आएगी तब आएगी पर तब तक उससे बचाव के लिए सुरक्षात्मक उपाय ही सबसे असरदार वैक्सीन मानने में ही भलाई है।

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Sagar Watch

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