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Lecture- संस्कृत भाषा मनुष्य के चरित्र को संस्कारित करती है -कुलपति

सागर वॉच/
संस्कृत विश्व की प्राचीनतम भाषा और  हमारी संस्कृतिक विरासत का अक्षुण्ण भंडार है। संस्कृत मनुष्य के चरित्र को संस्कारित कर उसके व्यक्तित्व को विकसित करने वाली भाषा है। नई शिक्षा नीति 2020 में संस्कृत के महत्त्व को नये सिरे से पहचानते हुए उसमें निहित अपरिमित ज्ञान  को समझने की नितांत आवश्यकता को प्रोत्साहित किया गया है। मुझे खुशी है कि संस्कृत के प्रति नयी पीढ़ी का लगाव बढ़ा है। 

यह विचार डॉ हरी सिंह गौर केंद्रीय की विश्वविद्यालय कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता ने कालिदास अकादमी, उज्जैन और संस्कृत विभाग, डाक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के संयुक्त तत्त्वावधान में  संस्कृत - सभागार में आयोजित सारस्वतम्  के  लोकप्रिय व्याख्यान में कहीं। 

उन्होंने संस्कृत विषय और उसके वाड्मय के सार्वभौमिक और वैज्ञानिक महत्त्व को भी रेखांकित किया। सारस्वत अतिथि प्रो इला घोष (जबलपुर) ने " महाकवि राजशेखर की शोध दृष्टि " पर  विस्तार से विचार करते हुए  कवि शिक्षा, कवियों के भेद, शोध की प्रक्रिया और प्रमाणिकता,शोध के गुणों आदि पर राजशेखर के गहन चिंतन से परिचित कराया।शोध से मानस दोष प्रक्षालित होकर गुण रूप में परिवर्तित हो जाता है। बुद्धिमान,आहार्य और दुर्बल कवियों का भेद समझना आवश्यक है।

मुख्य अतिथि प्रो रामविनय सिंह ( डी एवी पी जी कालेज ,देहरादून ) ने  " संस्कृत ग़ज़ल: दशा और दिशा " विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि ग़ज़ल की लोकयत्रा विविध पड़ावों से होकर गुजरती है।आज संस्कृत भाषा में इस विधा की स्वीकार्यता को सतर्क रेखांकित करने की जरूरत है। संस्कृत ग़ज़ल ने युग बोध को अत्यंत बारीकी के साथ अभिव्यक्ति दी। संस्कृत ग़ज़ल की ध्वन्यात्मक भाव संप्रेषण कला ही इसे अधुनातन संदर्भ में समकालिक चेतना से हाथ मिलाकर चलने की शक्ति देती है।
       
इस आयोजन में काव्यपाठ भी हुआ। प्रो रामविनय सिंह ने अपने सुमधुर गीतों और ग़ज़लों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। " गगन के गीत गाने में भुवन को मत भूल जाना " और "  मैं हृदय का प्यार लिखता हूं, प्रियेश! स्वीकार लिखना। ग़ज़ल की पंक्तियां हैं - आग के पौधे उगे हैं और है दलदल जमीन।लोग कहते फिर रहे हैं हो गई पागल जमीन।
हिंदी विभाग के शोधार्थी पंकज मिश्र ने भी स्वरचित गीत सुनाकर वाहवाही बटोरी।

 इस अवसर पर  संस्कृत विभाग द्वारा प्रकाशित यू जी सी लिस्टेड शोध पत्रिका ' नाट्यम ' के नये अंक  शूद्रक विशेषांक का लोकार्पण हुआ। प्रो रामविनय सिंह  और इला घोष ने माननीया कुलपति जी को  तथा विभाग के लिए अपनी पुस्तकें भेंट स्वरूप प्रदान की। विभागीय अध्यापकों डा संजय कुमार, डॉ किरण आर्या, डॉ नौनिहाल गौतम, डॉ रामहेत गौतम ने अतिथियों का शाल ,श्रीफल और बुके भेंट कर स्वागत- सम्मान किया ।  

स्वागत उद्बोधन विभागाध्यक्ष प्रो आनन्दप्रकाश त्रिपाठी ने दिया और कहा कि संस्कृत विभाग की सुदीर्घ परंपरा को समृद्ध करने में ऐसे अकादमिक आयोजनों की अपरिहार्य भूमिका होती है। कार्यक्रम के आरंभ में अतिथियों ने मां सरस्वतीकी प्रतिमा और  सर हरीसिंह गौर के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सरस्वती वंदना और वैदिक मंत्रोच्चार विभाग के विद्यार्थियों ने किया।  इस कार्यक्रम का संचालन डा शशिकुमार सिंह ने किया। आभार व्यक्त किया कालिदास अकादमी के श्री अजय मेहता ने।

इस सारस्वतम् के आयोजन में  चीफ प्रॉक्टर  प्रो चंदा बैन, सुरक्षा अधिकारी डा हिमांशु कुमार, डा राजेन्द्र यादव,डा अरविंद कुमार,डा रामरतन पांडे,  डा लक्ष्मी पांडेय, डा  अवधेश कुमार यादव, डा वसीम अहमद श्री पी सी मलैया, वीरेंद्र प्रधान, डी डी न्यूज के के. के. नगाइच आदि के साथ भारी संख्या में हिंदी, उर्दू , संस्कृत, दर्शन आदि अनेक विभागों के शोधार्थी और छात्र -छात्राएं उपस्थित हुए।



राष्ट्र निर्माण में हम अपनी भूमिका सुनिश्चित करें - प्रो दिवाकर सिंह राजपूत

सागर वॉच/ डाॅ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर मध्यप्रदेश के समाजशास्त्र एवं समाजकार्य विभाग में पदस्थ प्रो दिवाकर सिंह राजपूत ने "राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका" विषय पर केन्द्रित व्याख्यान दिया।
भक्त कवि नृसिंह मेहता विश्वविद्यालय, जूनागढ़ गुजरात में "भारत माता पूजन" कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्याख्यान देते हुए प्रो दिवाकर सिंह राजपूत ने कहा कि "यौवन ऊर्जा और उमंग का अनूठा संगम होता है। युवा व्यक्तित्व सपनों को साकार करने की ताकत और कौशल रखते हैं। युवाओं में इतिहास गढ़ने की क्षमता होती है। बस जरूरत होती है खुद को पहचान कर आत्म विश्वास और जागरूकता से कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहने की।

" प्रो राजपूत ने कहा कि समय का प्रबंधन, लक्ष्य केन्द्रित कार्य, आत्म सम्मान की भावना, मातृभूमि के प्रति प्रेम और कुछ अच्छा कर गुजरने की ललक से युवा नयी परिभाषायें रच सकते हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भक्त कवि नृसिंह मेहता विश्वविद्यालय जूनागढ़ गुजरात के कुलपति प्रो चेतन त्रिवेदी ने कहा कि मातृभूमि के प्रति अपने आस्था हमारी संस्कृति और ताकत है। युवा वर्ग देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कार्यक्रम के संयोजक डाॅ जयसिंह झाला ने स्वागत भाषण दिया। डाॅ पराग देवानी ने संचालन किया और डाॅ रुषिराज उपाध्याय ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में सुश्री धारा और अन्य छात्र-छात्राओं ने अपनी जिज्ञासायें और विचार रखे। इस अवसर पर समाज विज्ञान भवन की शोध पत्रिका "शोध सारथी" का विमोचन भी किया गया। 
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