OBC SEMINAR-नीट की परीक्षा में इडब्लूएस-ओबीसी के आरक्षण को सर्वोच्च न्यायलय ने सही माना -बीजेपी

OBC SEMINAR-नीट की परीक्षा में  इडब्लूएस-ओबीसी के आरक्षण को सर्वोच्च न्यायलय ने सही माना -बीजेपी

सागर वॉच/ 09 जनवरी 2022/ भाजपा पिछड़ा वर्ग की प्रबुद्धजन संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि ई.डब्ल्यू.एस. या सामान्य वर्ग के निर्धन लोग हैं उनको 10 प्रतिशत का आरक्षण और ओबीसी को 27 प्रतिशत का आरक्षण देने का निर्णय हमारी केन्द्र सरकार ने लिया था। उस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने सही माना है। मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि, इन दोनों विषय को लेकर कांग्रेस ने एक भ्रम का वातावरण फैलाने का प्रयास मध्यप्रदेश में किया है। 

 उन्होंने कहा कि न्यायापालिका का पूरा सम्मान करते हुए मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने ओबीसी की खातिर दो बार स्वयं को दाव पर लगाया है। प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए तीन विषयों को अलग रखकर शेष सरकारी भर्तियों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया। इसी तरह पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश  का पालन किया। साथ ही ओबीसी को पंचायत चुनाव में प्रतिनिधित्व मिले, इसके लिए प्रदेश सरकार ने अपना अध्यादेश ही वापस ले लिया। 

मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि, आज की संगोष्ठी में मुख्य रूप से 2 विषय हैं, एक विषय यह है कि, चाहे पंचायत चुनाव हों या नगरीय निकाय चुनाव हों इनमें पिछड़ा वर्ग को आरक्षण मिले। दूसरा यह है कि, पिछड़ा वर्ग के जो छात्र-छात्राएं है इनको शासकीय नौकरियों, परीक्षाओं में 27 प्रतिशत आरक्षण मिले। 

हम सब इस बात को भी जानते हैं कि, भारतीय जनता पार्टी सामाजिक समरसता के साथ चलने वाली पार्टी है। सबके साथ न्याय हो, सबका साथ हो सबका विकास हो, सबका विश्वास हो इस सबको ध्यान में रखकर भारतीय जनता पार्टी काम करती है। 

देश में पहली बार जो सामान्य वर्ग में जो गरीब हैं, उन गरीबों को देश में पहली बार 10 प्रतिशत आरक्षण देने का काम अगर किसी ने किया तो वह भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने कानून बनाकर किया है। 

मंत्री श्री सिंह ने कहा कि, बीच में सवा साल जब कांग्रेस की सरकार थी उस समय उन्होंने चुनाव कराए नहीं, पंचायतों को तोड़ने में लगे रहे बाद में कोरोना आ गया और इस वजह से पंचायत के चुनाव में 2 साल का विलम्ब हो गया। 

चुनाव जल्दी हों ये हमारी सरकार चाहती थी, इसलिए हम एक आर्डिनेंस लेकर आए और उस आर्डिनेंस में हम लोगों ने यह व्यवस्था की कि, कांग्रेस के समय में लगभग 2 हजार पंचायतों का जो परिसीमन कांग्रेस ने किया था। उन पंचायतों को तोड़कर राजनैतिक आधार पर फिर से नई पंचायतें बनाने का निर्णय लिया गया था। 

अगर उस आधार पर हम लोग चुनाव कराते तो यह राजनैतिक रूप से अन्याय होता। इसलिए हमारी सरकार ने कांग्रेस के द्वारा किए गए पंचायतों के परिसीमन का निरस्त किया और अध्यादेश लेकर आए और साथ में ये भी निर्णय लिया कि ओबीसी को पंचायत चुनाव में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। 

चार दिसम्बर को ओबीसी का नोटिफिकेशन जारी हुआ और 14 दिसम्बर से पंचायत चुनाव की प्रक्रिया भी प्रारंभ हो गई। और उसमें ओबीसी को 27 प्रतिशत का आरक्षण था। इसी बीच कांग्रेस ने यह प्रयास किया, षड़यंत्र किया कि, किसी भी तरह से पंचायत के चुनाव न हो पाएं।  

कांग्रेस ने हाईकोर्ट में रिट लगाई कि पंचायत चुनाव स्थगित किए जाएं। हाईकोर्ट ने इनकी याचिका को अमान्य कर दिया। हाईकोर्ट ने इस पर कहा कि पंचायत के चुनाव नियमानुसार हो रहे हैं। उसके बाद इन लोगों ने फिर याचिका लगाई और इस तरह से 5 बार हाईकोर्ट में याचिका लगाई। और पांचों बार हाईकोर्ट ने इनकी याचिका को निरस्त किया। 

मंत्री श्री सिंह ने कहा कि, जब पांचों बार इनकी याचिका निरस्त किया गया तो ये सुप्रीम कोर्ट गए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, यह हाईकोर्ट का क्षेत्राधिकार है, और हाईकोर्ट इसकी सुनवाई करके जल्दी निराकरण करे। ये फिर हाईकोर्ट गए और हाईकोर्ट ने सुनवाई के लिए 10 दिन की डेट बढ़ा दी। 

इनको लगा कि जब तक पंचायत के चुनाव हो जाएंगे। काफी कुछ प्रक्रिया पूरी हा जाएगी। ये फिर सुप्रीम कोर्ट गए और जब दोबारा सुप्रीम कोर्ट गए तो जब सुप्रीम कोर्ट नहीं माना तो अधिवक्ता श्री विवेक तनखा ने सुप्रीम कोर्ट में ये दलील दी कि, महाराष्ट्र के गवली केस में ये निर्णय हुआ है, इसलिए गवली केस को उदाहरण मानकर मध्यप्रदेश में भी ओबीसी को आरक्षण न दिया जाए और इसको स्टे कर दिया जाए। 

तब श्री विवेक तनखा की दलील मानते हुए, को मानते हुए महाराष्ट्र को आधार बनाकर पिछड़ा वर्ग का आरक्षण सुप्रीम कोर्ट ने समाप्त कर दिया। अब अगर इन परिस्थतियों में चुनाव होते तो पिछड़ा वर्ग के सारे लोग पंचायत चुनाव से वंचित हो जाते। और यही प्रक्रिया अगर नगर पालिका के चुनाव मे होती न पंचायत के चुनाव में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण मिल पाता और न ही नगरीय निकाय के चुनाव में पिछड़ा वर्ग को आरक्षण मिल पाता। 

तब सरकार ने रास्ता निकाला और हम मुख्यमंत्री जी का धन्यवाद करेंगे कि, केबिनेट से हम लोगों ने वो आर्डिनेंस वापिस लिया, जिस आर्डिनेंस के आधार पर चुनाव हो रहे थे। चुनाव रोकने का एक ही तरीका था कि सरकार आपना आर्डिनेंस विड्रा कर ले तो चुनाव रूक जाएंगे। और चुनाव रूक जाएंगे तो ओबीसी को आगे चलके आरक्षण का लाभ मिल जाएगा। 

हमने आर्डिनेंस विड्रा किया, अब जिस आर्डिनेंस के आधार पर चुनाव हो रहे थे वहीं शून्य हो गया तो चुनाव आयोग फिर चुनाव नहीं करा सकता। चुनाव रोकने का यही रास्ता था। ओबीसी के कल्याण के लिए, ओबीसी के साथ अन्याय न हो इसलिए यह निर्णय हमारी सरकार ने लिया। 

चुनाव निरस्त होने के बाद हम लोग सुप्रीम कोर्ट गए हमने याचिका दायर की है कि मध्यप्रदेश में चूंकि ओबीसी के आबादी 52 से 60 प्रतिशत के बीच है। ओबीसी समाज हमारा आर्थिक, शैक्षणिक, राजनैतिक रूप से पिछड़ा हुआ है। ओबीसी समाज को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए ये मध्यप्रदेश सरकार का मत है। सुप्रीम कोर्ट ने हमारी याचिका का स्वीकार किया है और आने वाली 17 जनवरी को इस पर सुनवाई होगी। 

मध्यप्रदेश के एक अभिभावक के रूप में सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार ने भी इस बात को कहा है कि मध्यप्रदेश में ओबीसी की जनसंख्या ज्यादा है, और इसलिए ओबीसी का अध्ययन करने के लिए ओबीसी की आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक स्थिति का पता करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने ओबीसी का आयोग भी बनाया है। 

जिसको संवैधानिक आयोग का दर्जा है। केन्द्र सरकार ने कहा है, जिसमें हम सुप्रीम कोर्ट में ये सारे तथ्य रख सकें इसके लिए हमे समय दिया जाए। ऐसी यचिका सुप्रीम कोर्ट में केन्द्र सरकार की तरफ से लगाई गई है। उस पर भी 17 जनवरी को सुनवाई होगी। और मुझे उम्मीद है कि जिस तरह से सरकार, पार्टी ने प्रयास किया है उस तरह से हमारे ओबीसी वर्ग को न्याय मिलेगा। 

मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि, सरकारी नौकरियों में ओबीसी आरक्षण का विधेयक कांग्रेस के लोग इतनी जल्दबाजी में लेके आए कि, विधेयक में यह लिख दिया कि मध्यप्रदेश में 27 प्रतिशत आबादी ओबीसी की है, जबकि यह आबादी 52 से 70 फीसदी तक है। 

कांग्रेस की इस चूक से यह स्पष्ट हो गया कि उनकी मंशा ओबीसी को आरक्षण देने की नहीं है बल्कि मामले को कोर्ट में उल्झाने की है। हाईकोर्ट में जब याचिका लगी तब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अपने एव्होकेट जनरल को हाईकोर्ट में खड़ा नहीं किया। पेशियों पर उनके अधिवक्ता उपस्थित नहीं होते थे। 

श्री सिंह ने कहा कि, हमारी सरकार जैसे ही बनी तब इस मामले में पहली ही पेशी में सरकार के एडव्होकेट जनरल पुष्पेन्द्र कौरव ने हाईकोर्ट में यह कहा कि हमारी सरकार ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देना चाहती है। केन्द्र सरकार के सालिसिटर जनरल तुषार मेहता जी को इस प्रकरण में वर्चुअली हाईकोर्ट में प्रस्तुत किया। 

जिन्होंने पैरवी की कि, 27 प्रतिशत आरक्षण ओबीसी को मिलना चाहिए। इस पर भी हाईकोर्ट ने स्टे खत्म नहीं किया तब हमारी सरकार ने अधिवक्ताओं से मिलकर एक रास्ता निकाला कि, यह स्टे सिर्फ तीन परीक्षाओं के मामले में ही है, अन्य सभी सरकारी नौकरियों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का रास्ता अब भी निकाला जा सकता है। 

सरकार ने रिस्क उठाकर यह रास्ता निकाला और तीन परीक्षाओं को छोड़कर सरकारी नौकरियों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का काम जारी रखा। दूसरा बड़ी रिस्क मध्यप्रदेश सरकार ने तब उठाई जब पंचायत चुनाव संबंधी अध्यादेश को ही वापस ले लिया। 

मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस ओबीसी समाज को बांटने का काम कर रही है और समाज में जहर घोलने का काम कर रही है। भोपाल में पिछले दिनों जिस तरह से ओबीसी समाज के नाम पर कांग्रेस ने कुछ संगठनों को इकट्ठा किया उनमें भीम आर्मी सेना और जयस जैसे संगठन भी शामिल थे। 

एस.टी और एस.सी. की राजनीति करने वाले इन संगठनों का ओबीसी आरक्षण के जमावड़े में आखिर क्या भूमिका थी ! साफ है कि, कांग्रेस कुछ संगठनों को आगे करके अपना कुत्सित राजनैतिक खेल खेल रही है। जिसके तहत समाज को बांटा जा रहा है और जहर घोला जा रहा है। मंत्री श्री सिंह ने संगोष्ठी में उपस्थित प्रबुद्धजनों को आगाह किया कि कांग्रेस के ये डमी ओबीसी संगठन हमारे सामने हमारे जैसी बात करते हैं, और फिर वैसा ही करते हैं जैसा कांग्रेस उन्हें कहती है। 

उन्होंने कहा कि हमारा ओबीसी वर्ग कांग्रेस का मोहरा बनने से बचे यह वर्ग भाजपा का प्रतिबद्ध मतदाता वर्ग रहा है। भाजपा के साथ मिलकर हम ओबीसी के लिए न्याय के लिए आगे बढ़ेंगे। जरूरत होगी तो हम अपने ओबीसी संगठन बनाएंगे, लेकिन उन 15-20 संगठनों से दूरी बनाकर रखेंगे जो कांग्रेस के राजनैतिक एजेंडे पर अपना खेल खेल रहे हैं। 

इसके पहले संगोष्ठी में सांसद राजबहादुर सिंह, जिला अध्यक्ष गौरव सिरोठिया ने भी संबोधित किया। नगर विधायक शैलेन्द्र जैन ने अपने संबोधन में ओबीसी को न्याय दिलाने की मुहिम हेतु मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और मंत्री भूपेन्द्र सिंह का हार्दिक आभार व्यक्त किया। संगोष्ठी का संचालन लक्ष्माण सिंह ने किया। 

कार्यक्रम में पूर्व मंत्री नारायण कबीरपंथी, पूर्व जिलाध्यक्ष हरीराम सिंह, पिछड़ा वर्ग जिलाध्यक्ष लक्षमण सिंह, जिलापंचायत पूर्व उपाध्यक्ष तृप्ती सिंह, जिलाउपाध्यक्ष जगन्नाथ गुरैया, रामेश्वर नामदेव, विक्रम सोनी, श्रीमती सुष्मा यादव, श्रीमती सविता साहू, श्रीमती पूनम पटैल, राहुल साहू, लक्ष्मण सिंह, पूर्व पार्षद श्वेता यादव सहित समाजों के वरिष्ठजन, भाजपा के नेता, कार्यकर्ता बैठक में उपस्थित थे।


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