Bhagwath Katha Day-4 -सिर्फ पीले या भगवा वस्त्र पहनने से संत नहीं बन सकते-नागर जी

Bhagwath Katha Day-4 -सिर्फ पीले या भगवा वस्त्र पहनने से संत नहीं बन सकते-नागर जी


सागर वॉच/31 दिसम्बर 2021/ 
सिर्फ पीले या भगवा वस्त्र पहनने से संत नहीं बन सकते। संत बनने के लिए सरल स्वभाव जरूरी है ।कपड़ा बदलने से नहीं कर्म बदलने से ही संत बना जा सकता है।कपड़ा बदलना आसान है पर कर्म बदलना मुश्किल है । सदा एक से रहो, ज्यादा चमक दमक में पढ़ोगे तो पाप अवश्य करोगे। ये विचार संत श्री कमल किशोर नागर जी ने ग्राम पटकुई बरारू स्थित वृंदावन धाम में श्रीमद्भागवत कथा के दौरान श्रद्धालुओं के समक्ष व्यक्त किए। 

उन्होंने कहा कि कोई भी अच्छी बात कहे चाहे वह छोटा हो या बड़ा हो तो उसकी बात मानना चाहिए। वक्त और वक्ता में से वक्ता से सुधर जाओगे तो कभी बुरा वक्त नहीं आएगा। मन को गुरु बनाया तो मन की सुनोगे और मनमानी करोगे इसलिए मनमुखी नहीं हमेशा गुरुमुखी बनो। वह तु्हें हमेशा सही रास्तादिखाएगा। 

संत श्री नागर जी ने कहा कि जब हम गाड़ी चलाते हैं और रास्ते में कोई मोड़ आ जाए, तो रुकना या धीमा होना पड़ता है लेकिन फिर गति पकड़ लेते हैं। उसी तरह जीवन में कभी कोई मोड़ आ जाए, जीवन की गाड़ी में थोड़ा ब्रेक लग गया,तो समझना कि कुछ बिगड़ा है, इसलिए गाड़ी रुकी है। ईश्वर ने आपको रोककर शायद सही दिशा दिखाने का कार्य किया है। 

मोड़ पर जीवन खत्म नहीं होता, बल्कि हमें दिशा मिलती है, इसलिए जीवन में आए ब्रेक को भगवान का प्रसाद समझना, उसका साथ नहीं छोडऩा और कभी नास्तिक मत बनना। प्रभु में सदा आस्था रखना। तुलसीदास जी यदि अपनी पत्नी के वियोग में ससुराल नहीं जाते तो उन्हें भगवान राम कभी नहीं मिलते। यह उनके जीवन का मोड था। 

संत श्री ने कहा कि कोई भी आपसे कुछ भी बोले उसे दुश्मन नहीं मानना, उसके बोले पर विचार अवश्य करें कि उसकी €या इच्छा है, बोलने वाले को पूरा मौका दो । संत नागर जीने हजारों उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने अमृत वचनों से भाव विभोर करते हुए कहा कि गुरु तो शŽद है, शरीर शŽदनहीं हैं। जिसकी सोच अच्छी है वह पंडित है, जिसका स्वभाव अच्छा है वह संत है जिसका शŽद अच्छा है वह गुरु है। 

 

चमक तो सूर्य ,चंद्र औरअग्नि की भी स्थाई नहीं है, वह भी आते हैं और डूब जाते हैं। इसलिए चमक में नहीं, भगवान के भजन में विश्वास करोगे तो तु्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा। संत श्री ने कहा कि भगवान से यही प्रार्थना करो कि मुझे तुलसी,वाल्मीकि, ध्रुव, प्रहलाद जैसा बनाना। श्री कृष्ण की 16हजार 108 पट रानियां थी। उन्होंने कृष्ण से शादी नहीं की,सिर्फ कृष्ण का पल्ला पकड़ा €यों कि कृष्ण पतित पावन है। पल्ले से पत्नी ही नहीं पुण्य भी बनता है । 

एक पल्ले पर यदि परिवार को बांध रखा है, तो दूसरे पल्ले पर पुण्य बांध लोगे तो संतुलन बना रहेगा। जो मिला उसमें ही संतोष करो ,जो भगवान ने दिया अच्छा दिया। बस भगवान का पल्ला पकड़े रहो। तेरहवा काम नहीं तेरहवीं में विश्वास संत कमल किशोर नागर जी ने कहा मनुष्य के जीवन में 13कार्य स्वयं करना पड़ते हैं। मनुष्य को भोजन, प्यास, खांसी, नींद, छींक, उबासी 
, दुख, सुख, रोना हंसना, नित्य क्रिया,पीड़ा सहना एवं भोजन का कार्य स्वयं करना पड़ता है। 

मनुष्य 12 कार्य तो कर रहा है लेकिन तेरहवा कार्य (भजन)की बजाए तेरहवीं करने में लगा है। जीवन में जिस तरह तु्हारे 12 कार्य कोई नहीं कर सकता ,उसी तरह तु्हारे हक़ का भजन भी कोई नहीं कर सकता। भगवान को पाने के लिए भजन स्वयं को करना पड़ेगा इसलिए तेरहवी में नहींतेरहवें कार्य में विश्वास करो।

देखने में नहीं सुनने में विश्वास करो संत नागर जी ने कहा कि सुखदेव जी की कथा में विशेषतायह है कि गोविंद आते हैं। जिस कथा में गोविंद आए उसेछोडऩा मत। 16 वर्ष के सुखदेव की कथा उनके 8। वर्षीयपिता भी सुनते हैं। 

उसका कारण यह था कि पिता ने कथाका वर्णन तो कर दिया परंतु आत्मज्ञान प्राप्त नहीं कर सके।भगवान को पाने के लिए आत्मज्ञान जरूरी है। लोग कहते हैंकि हमें भगवान दिखता नहीं है, वह हमें इसलिए नहीं दिखताकि हमारी आंख, हमारा दृष्टिकोण ठीक नहीं। हमारे कर्म, दृष्टि,शरीर सब खराब फिर भी हम प्रभु को देखने की इच्छा रखतेहैं। जिस नजर से ठाकुर जी हमें देख रहे हैं यह नजर हममेनहीं है।कर्म अच्छे करोगे तो वह तु्हें देख रहा है, उसे देखने कीलालसा की वजह , भजन की लालसा रखो। 

जितना ईश्वरको भजने में आनंद है, उतना उसे देखने में नहीं। राम। नेरावण को 85 दिन तक देखा ,लेकिन वह दृष्टि ठीक नहीं थी।वक्त का इंतजार मत करोसंत ने कहा कि वक्त का कभी इंतजार मत करो ।वक्त उलटपलट कर देता है। वक्त खतरनाक होता है। ठोकर खाकरसुधरोगे तो मजा नहीं आएगा। उसके पहले ही सुधर जाए ,तोजीवन का आनंद अलग होगा और यह भजन से ही संभवहै। भगवान से शिकायत रहती है कि वह देर करता है।

भगवान देर तो करता है लेकिन अंधेर नहीं करता ।वह यहचाहता है तु्हारी टेर बंद ना हो जाए। दिशा एक रखना चाहेदशा भले ही बदल जाए ।जिस का भजन अखंड है, उसकाभगवान अखंड है। जहां कथा पंडाल हो वहां समझो छोटाभारत है। और जहां भारत है वहां भगवान है।हर्षोल्लास से मनाया कृष्ण प्रकटोत्सवश्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा सप्ताह के चतुर्थ दिवस श्रीकृष्ण प्रकटोत्सव धूमधाम से मनाया गया। नंदबाबा,बालस्वरूप कृष्ण को जब टोकरी में रखकर मंच पर पहुंचेतो पूरा पंडाल जय कन्हैयालाल की, हाथी घोड़ा पालकी के उद्घोष से गूंज उठा । 

श्रद्धालुओं ने नाच गाकर एवं भजन केउद्घोष के बीच हर्षोल्लास से प्रकट उत्सव मनाया। इस अवसरपर कथा पंडाल को वंदन वारो, कलश, पुष्प मालाओं से आकर्षक रूप से सजाया गया था। इस अवसर पर मुख्य यजमान श्रीमति राम श्री, श्याम केशरवानी, खनिज विकास निगम उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह मोकलपुर, पंडित सुशील तिवारी,राकेश राय ,मदन सिंह राजपूत, जगदीश गुरु, श्रीमती शीलादेवी गुरु,प्रज्ञा गुरु, विनोद गुरु, श्रीमती मधु गुरु, विक्रम,वि_ल, आदित्य, प्रद्यु्न गुरु आदि उपस्थित थे।

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