Ram-Katha-Ayojan-दुनिया-में-अंग्रेजी-से-ज्यादा-चौपट-कोई-दूसरी-भाषा-नहीं-आचार्य धर्मेन्द्र

Ram-Katha-Ayojan-दुनिया-में-अंग्रेजी-से-ज्यादा-चौपट-कोई-दूसरी-भाषा-नहीं-आचार्य धर्मेन्द्र

सागर वॉच। दुनिया में अंग्रेजी से ज्यादा चौपट कोई दूसरी भाषा नहीं। सारे भारत में समझी जाने वाली भाषा हिन्दी ही है। अंग्रेजों के बाद हमें अंग्रेजी की गुलामी से मुक्त होना होगा। ये उद्गार गुरूवार को आचार्य स्वामी धर्मेन्द्र जी महाराज ने मोतीनगर चौराहे के पास गौ सेवा संघ परिसर में अपने नौ दिवसीय श्री राम कथा अमृत के दौरान व्यक्त किए। 

आचार्य ने अपने उद्बोधन में अंग्रेजी भाषा में व्याप्त विसंगतियों पर चर्चा करते हुए कहा कि इससे तर्कहीन और अवैज्ञानिक भाषा दूसरी नहीं। हमारे देश में तमिल, तेलगू, मलयालम, मराठी, पंजाबी, बांग्ला आदि भाषाएं हैं। ये हमारी मौसियां है और मां हिन्दी है। भारत में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा हिन्दी ही है। 

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उन्होंने धर्म की व्याख्ता करते हुए कहा कि रिलीजन एक्सेप्ट किया जाता है और मजहब कुबूल किया जाता है। जबकि धर्म को धारण करना पड़ता है। यदि तुम धर्म की रक्षा करोगे तो धर्म तुम्हारी रक्षा करेगा। भगवान ने धर्म के बल पर ही इस पृथ्वी, आकाश और ब्रम्हांड को धारण किया हुआ है। 

भगवान भास्कर अनंत ऊर्जा के साथ निरंतर जल रहा है। भगवान का इससे बड़ा प्रमाण क्या हो सकता है। प्रात: उगते हुए सूर्य के दर्शन कीजिए। दुनिया में इससे बड़ी खूबसूरती कहीं नहीं मिलेगी। सूर्य भगवान का सौन्दर्य कभी क्षरित नहीं होता।


आरक्षण पर चर्चा करते हुए आचार्य स्वामी धर्मेन्द्र जी महाराज ने कहा कि जातिगत आरक्षण के स्थान पर सरकार को निर्धनों और असहायों का संरक्षण करना चाहिए। इसमें धर्म निरपेक्षता आड़े नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि बामपंथी नारा लगाते हैं कि दुनिया के मजदूरों एक हो जाओ। 

लेकिन इन्हें यह बात समझ नहीं आती कि जब उद्योगपति नहीं होंगे तब मजदूर कहां से आएंगे। जब काम नहीं होगा तो किन मजदूरों को इकट्ठा करोगे। शाकाहार पर बल देते हुए आचार्य जी महाराज ने कहा कि प्रकृति ने हमें इतने स्वादिष्ट और पौष्टिक आहार दिए हैं, तो लोग मुर्दा क्यों खाते हैं।


किसी भी जीव की जब हत्या कर दी जाती है तो उसका शरीर मुर्दा कहलाता है। लेकिन कुछ लोग इस मुर्दा को खाते हैं। देश के अलग-अलग राज्यों में एक से बढ़कर एक शाकाहारी भोजन उपलब्ध हैं। बच्चों को शाकाहार के लिए प्रेरित करें।

कथा के मुख्य यजमान प्रेमनारायण घोषी, यजमान चंद्रप्रकाश सुनरया और रनछोड़ीलाल सोनी थे।
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