Mining-Department-Under-Scanner-एलिवेटेड-कारीडोर-के-निर्माण-के-लिए-मुरम-की-आपूर्ति-सवालों-के-घेरे-में

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सागर वॉच
शहर की पह्चान लाख बंजारा झील में स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत एलिवेटेड कारीडोर की महत्वाकांक्षी परियोजना पर तेजी से काम चल रहा है। शुरुआत में एलीवेटेड कॉरीडोर तैयार करने के लिए तालाब में जमीनी स्तर पर अस्थाई सड़क बनाई जा रही है। उसमें सैकड़ों ड्फर मुरम डाली जा चुकी है। लेकिन इतने बड़े पैमाने पर सम्बंधित कम्पनी मुरम कहाँ से ला रही है इस पर सवाल उठ रहे हैं  आश्चर्य की बात है इन सवालों का जवाब देने से खनिज विभाग के अधिकारी भी कन्नी कटे नजर आ रहे हैं

सूत्रों की माने तो यह बड़े पैमाने पर रॉयल्टी चोरी कर अवैध उत्खनन के मामला हो सकता है। बताया जा रहा है कि एलीबेटेड कॉरीडोर का निर्माण कर रही एजेंसी ने मुरम खनन के लिए ग्राम रजौआ में एक खदान के लिए लीज मांगी थी। 

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लेकिन आलम यह है की राजनैतिक   दखलंदाजी व अधिकारियों की शह के चलते आवेदन लगाने के साथ ही कथित कम्पनी ने विधिवत खुदाई भी चालू कर दी। अब तक सैकड़ों ड्फर मुरम तलब में डाली जा चुकी है। किन्तु संबंधित एजेेंसी को खदान की लीज अब तक हो पाई है यह बात  खनिज शाखा के अधिकारी स्पष्ट करने को तैयार नहीं हैं। 

अपुष्ट जानकारी के अनुसार रजौआ से बिना अनुमति मुरम ला रही एक गाड़ी को कुछ दिन पहले  खनिज शाखा के अधिकारी ने पकड़ा था किन्तु तत्काल ही जिला प्रशासन के किसी वरिष्ठ अधिकारी के दखल पर वाहन को छोडऩा पड़ा। इस कम्पनी को खदान से मुरम निकालने की व्यवस्था कराने में भाजपा के एक नेता खनिज शाखा पर लगातार दबाव बनाये हुए हैं। 


विभागीय सूत्रों के मुताबिक मेसर्स अनुज इंफ्रा प्रोजे€ट प्राईवेट लिमिटेड मुंबई की कंपनी द्वारा सितंबर माह में मुरम हेतु रजौंआ की शासकीय भूमि खसरा क्रमांक 499 में से 2.15 हे€टेयर हेतु ऑनलाईन आवेदन किया था। खनिज विभाग में गौण खनिज पत्थर के लिए ऑनलाईन आवेदन भी किया जाता है और नियमों के अनुसार तो आवेदन के तीन माह पश्चात ही उत्खनन की अनुमति दी जाती है, जिसमें वन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की अनुमति जरूरी रहती हैं।
 
गौरतलब है कि लाखा बंजारा झील में निर्माणाधीन, एलिवेटेड कॉरीडोर के लिए लगभग एक  किमी लम्बी और 12 मीटर चौड़ी सड़क बनाने के लिए मुरम का भराव किया जाना है। इस के चलते यह सवाल उठ रहे हैं कि बगैर लीज के इतनी बड़ी मात्रा में मुरम कहां से आ रही है।


लगभग 70 करोड़ रूपए की लागत से चकराघाट से दीनदयाल मूर्ति बस स्टैंड तक फ्लाई ओवर का निर्माण कराया जा रहा है। जब इस संबंध में खनिज विभाग के प्रभारी अधिकारी अनित पंड्या से जानकारी ली गई तो गोल-मोल जबाव ही देते रहे और स्पष्ट जानकारी भी नहीं दे सके।

मीडिया द्वारा इस मामले में सवाल करने पर खनिज विभाग के अधिकारी  भी  से गोलमोल जवाब मिल रहे हैं । खनिज शाखा के अधिकारी अनित पंड्या  का कहना है कि इस मामले में स्मार्ट सिटी के अधिकारियों से यह अपेक्षा रखते नजर आये कि वे अपने ठेकेदारों से इस बात की जानकारी संग्रहित करें कि वह किस स्थान से मुरम ला रहे हैं।

इस सारे मामले को देखकर ऐसा लग रहा है कि जैसे इन विकास कार्यों को तेजी से पूरा कराने के लिए प्रयासरत अधिकारी वर्ग ने ठेकेदारों को नियमों को दरकिनार कर काम करने की अघोषित अनुमति दे रखी है। 

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