News-Off-Track-घर-चलने-शुरू-किया-पोल्ट्री-फार्म-अब --बनी-मुर्गी-पलक-संघ-की-अध्यक्ष

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सागर वॉच।
कहते हैं 'जहाँ चाह वहाँ राह' जिले की देवरी तहसील की 
अनुसूचित जनजाति वर्ग से जुड़ी एक महिला ने यह बात शब्दशः सही साबित की है। उसने पति के देहांत होने के धैर्य,संयम व सूझ-बूझ का परिचय देते हुए न केवल अपने परिवार के लिए आजीविका के साधन बनाये बल्कि  अपने दिव्यांग बेटे की छोट चुकी पढाई को दुबारा शुरू कराया 

 देवरी विकासखंड के ग्राम गोपालपुर की अनुसूचित जनजाति वर्ग से जुड़ी सुनीता गौड़ आज पोल्ट्री फॉर्म चलाकर अपना परिवार पाल रही है। उन्होंने बताया कि 2019 में उनके पति का देहांत हो गया। परिवार की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। आजीविका मिशन के देश देश समूह से जुड़े होने के कारण उन्होंने पोल्ट्री फॉर्म शुरू किया।

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वर्तमान में उनके पास 600 से अधिक पोल्ट्री उपलब्ध है उनके दो बेटे एक बेटे का मशीन में हाथ फस जाने के कारण बेटा एक तरह से दिव्यांग हो गया है। नौवीं कक्षा के बाद उसने पढ़ाई छोड़ दी छोटा बेटा दसवीं कक्षा पर है। उनके पास थोड़ी खेती भी है। जिसमें उन्होंने मक्का और कींद लगा रखा है।
वह बताती हैं कि पति के नहीं होने और बेटे की दिव्यांगता के कारण उन्हें ही परिवार में सारे काम करना होते हैं। वे अपने गांव की मुर्गी पालक सोसायटी की अध्यक्ष भी है यद्यपि वे कम शिक्षित है। पर वे अपने दायित्वों का निर्वहन पूरी दक्षता और कुशलता से कर रही है वर्तमान में वे 600 से 800 पोल्ट्री बोर्ड की इकाइयों का साल में कम से कम 6 राउंड पालन कर बीच लेती है। 25 से इस काम से उन्हें इस काम से उन्हें 45 दिन में 8000 से 10000 रूपये की आमदनी हो जाती है।


जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ इच्छित गढ़पाले का कहना है कि इन परिवारों के कुशलतापूर्वक कार्य संचालन के लिए मनरेगा के अंतर्गत पोल्ट्री शेड के निर्माण किए गए हैं ताकि वे अपना काम प्रोफेशनल तरीके से कर सके।

जिला कलेक्टर दीपक सिंह का कहना है कि आजीविका मिशन से जुड़ी प्रत्येक वर्ग की महिलाओं ने अपनी सफलता की दास्तान लिखी है वह अब नेतृत्व विकास के साथ-साथ परिवार के संचालन में आमदनी को बढ़ाने में आगे आ रही है।

जिला परियोजना प्रबंधक हरीश दुबे का कहना है कि देवरी विकासखंड में 400 से अधिक परिवार इस काम को कर रहे हैं और वह इस काम को करके खुशहाल जीवन यापन कर पा रहे।

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