Lokarpan-युवा-पीढ़ी-को-सरल-हिंदी-भाषा-में-राम-कथा-से-रूबरू-कराती-है-यह-कृति

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सागर वॉच आज़ादी के अमृत महोत्सव और हिन्दी पखवाड़ा के अवसर पर डॉ.हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर के हिन्दी विभाग द्वारा शहर के जाने माने शायर अशोक मिज़ाज की भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित पुस्तक श्रीराम कहानी के लोकार्पण, परिचर्चा और कवि स्मेलन का आयोजनअंग्रेज़ी विभाग के स्वामीनाथन सभागार में किया गया। 

कार्यक्रम का शुभारंभ युवा कवयित्री सोनाली सेन द्वारा की गई मधुर सरस्वती वंदना से हुआ। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कुलसचिव संतोष सहगौरा ने कहा कि राम का तो नाम ही भवसागर से तारने के लिए काफी है।

अशोक मिज़ाज की कृति श्रीराम कहानी युवा पीढ़ी तक सरल हिंदी भाषा में भगवान श्रीराम के संदेश को पहुंचाने में सफल रहेगी। अध्यक्षीय उद्बोधन में संस्कृत विभाग अध्यक्ष प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि शायर अशोक मिज़ाज की श्रीराम कहानी लोक जागरण की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण कृति है। जो अपनी सहज गद्य शैली  और राम - कथा की सरस प्रस्तुति के कारण जन मानस में लोकप्रिय होगी। 


हिन्दी विभाग में सहा.प्रा.डॉ.आशुतोष मिश्र ने समीक्षा करते हुए कहा कि कोई साहित्यकार जो अपनी पहचान अपने विशेष क्षेत्र में बना चुका हो उसमें परिवर्तन करते हुए दूसरे रूप में आना अपने आपको विसर्जित करने जैसा कार्य है। ये साहस शायर अशोक मिज़ाज ने किया है। ठीक ही है जब राम मिल गए तो फिर किस चीज़ की ज़रूरत है। 

इस पुस्तक में जो शायर अशोक मिज़ाज को ढूंढ़ेंगे वो निराश होंगे और जो राम को देखेंगे वो ख़ुश हो जाएंगे। समीक्षक डॉ. सुजाता मिश्र ने कहा कि किताब पर आशुतोष राणा और आनंदप्रकाश त्रिपाठी जैसे लोगों का फ्लैप पर लिखना ही सब कुछ कहता है, यह कहानी अपने उद्देश्य में पूर्णत: सफलहै।

 
हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. चंदा बैन और सारस्वत अतिथि डॉ. सुश्री शरद सिंह ने भी श्री राम कहानी को सरल सहज भाषा में एक सफल प्रयास बताया। संकायाध्यक्ष और भाषा अध्ययन शाला के अधिष्ठाता भवतोष इन्द्रगुरू विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद रहे। लेखक अशोक मिज़ाज ने गज़़लों की दुनिया से गद्य लेखन के प्रति आकर्षित होने को श्रीराम की प्रेरणा और उनके प्रति श्रद्धा भाव कहा। 

इस अवसर पर डॉ. छबील कुमार मेहर को उनकी साहित्यिक उपलŽिधयों के लिए शाल और श्रीफल से स्मानित किया गया। बाद में कवि स्मेलन भी हुआ जिसमें आदर्श दुबे, सोनाली सेन,प्रभात कटारे, आर.के. तिवारी, डॉ. सुश्री शरद सिंह,अशोक मिज़ाज ने काव्यपाठ किया। 

संस्कृत विभाग के सहा.प्रा. डॉ.शशि कुमार सिंह ने प्रभावी संचालन किया एवं आभार हिन्दी विभाग सहा.प्रा.डॉ.राजेन्द्र यादव ने माना। सागर विश्वविद्यालय परिवार के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब तीन तीन भाषा विभागों के विभागाध्यक्ष और कुलसचिव की उपस्थिति में किसी शायर की किताब का लोकार्पण हुआ हो और उसमें  अन्य विभागों के प्रोफेसर्स, शोध छात्रों के अलावा शहर  की साहित्यिक संस्थाओं के अध्यक्ष और प्रमुख साहित्यकार उपस्थित हों।


इस अवसर पर शहर से पधारे वरिष्ठ लोक संस्कृति कर्मी शिवरतन यादव, श्यामलम् अध्यक्ष उमाकांत मिश्र, स्तंभकार डॉ. राकेश शर्मा, प्रलेस अध्यक्ष टीका राम त्रिपाठी रुद्र, ललित कला मंडल अध्यक्ष मुन्ना शु€ला, श्रुतिमुद्रा व बुनियाद संस्था से कविता शु€ला,पाठक मंच केंद्र संयोजक आर.के तिवारी, अ.भा. हिन्दी सेवा समिति अध्यक्ष ज.ला. राठौर, हरी शु€ला, डॉ.राम रतन पांडेय, डॉ. यू.के. चौबे, एम.डी. त्रिपाठी प्राचार्य, कवि रमेश दुबे, संगीत श्रोता समाज के डॉ. अशोक कुमार तिवारी की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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