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 विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग में “ज्ञान समृद्धि” कार्यशाला का समापन

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डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय में जनसंख्या अनुसंधान केंद्र तथा भूगोल विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित तीन दिवसीय “ज्ञान समृद्धि” कार्यशाला का आज समापन हुआ। कार्यशाला के समापन अवसर पर केंद्र के निदेशक प्रो. विनोद कुमार भारद्वाज ने कार्यशाला में प्रतिभागी विद्यार्थियों को इसके माध्यम से प्राप्त नई जानकारियों एवं शोध प्रक्रियाओं को अपने शोध कार्य की गुणवत्ता बढ़ाने में उपयोग करने का सुझाव दिया।

इस तीन दिवसीय कार्यशाला में कुल 52 शोधार्थियो और स्नातकोत्तर छात्र सम्मिलित हुए। कार्यशाला में कुल 12 सत्र आयोजित हुए। दिनांक 8 अप्रैल को जनसंख्या के वितरण, वृद्धि और इसके सामजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभावों पर प्रो. श्रीकमल शर्मा ने विस्तृत विश्लेषण के माध्यम से बताया कि किस प्रकार जनसंख्या की असंतुलित वृद्धि शिशु, युवा, वयस्कतथा वृद्ध आयु समूहो को प्रभावित कर रही है। 

डॉ. निखिलेश परचुरे ने जनसंख्या के सामाजिक-आर्थिक विकास में मिशन मोड प्रोजेक्ट की भूमिका और आवश्यकता के साथ उनके लाभ के बारे में जानकारी दी। इन प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन हेतु सूचना तकनीक के उपयोग के बारे में विस्तार से बताया। 

विभिन्न डेटा को एकत्रित करने, उनके प्रस्तुतिकरण और नीति निर्धारण हेतु इस डेटा के उपयोग हेतु आवश्यक सूचनातंत्र की स्थिति के बारे में विभिन्न डेटा स्त्रोतों जैसे आई.एच.आई.पी., ई-अस्पताल, एच.एम.आई.एस. की जानकारी और उनकी उपादेयता के बारे में बताया।

कार्यशाला में दूसरे दिन प्रो. संतोष शुक्ला में शोध प्रक्रिया के विभिन्न आयामों पर विभिन्न उदाहरण देते हुए सरल भाषा में शोध प्रकिया में प्रारंभिक विचारों का तार्किक रूप से लेखन और उसके परिष्करण की आवश्यकता के बारे में विस्तार से बताया। 

शोधपत्र लेखन और उनके प्रस्तुतिकरण में होने वाली त्रुटियों को ठीक करने तथा आवश्यक सावधानियों के बारे में उन्होने छात्रों को महत्वपूर्ण सुझाव दिए। छात्रों को जनगणना, सेंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम, नेशनल सेंपल सर्वे, सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम तथा नेशनल फेमेली हेल्थ सर्वे के डेटा की एकत्रीकरण की विशेषताओं और प्रक्रिया के बारे में जानकारी के साथ जनगणना के आयु संबंधी आँकड़ों की उपयोगिता के बारे में बताया गया। इन आँकड़ों के विश्लेषण और प्रबंधन तथा प्रस्तुतिकरण में उपयोग होने वाले विभिन्न डेटा एनालिसिस विधियों की भी जानकारी दी गई।

कार्यशाला के तीसरे दिन भूगोल विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. हेमंत पाटीदार ने सेंपलिंग तकनीक की शोध हेतु आवश्यकता के बारे में छात्रों को विस्तारपूर्वक बताया। प्रोबेबिलिटी सेंपलिंग और नॉन-प्रोबेबिलिटी सेंपलिंग में अंतर और उनके उपयोग के बारे में विभिन्न उदाहरणों से छात्रों को अवगत कराया। 

पी.आर.सी. द्वारा किये गए प्रमुख शोध प्रोजेक्ट की अवधारणा, उनके उद्देश्य तथा डेटा संग्रहण, विश्लेषण के बारे में छात्रों को अवगत कराया गया। इन शोध प्रोजेक्ट के निष्कर्षों से स्वास्थ्य संबंधी कार्यक्रमों में सुधार हेतु किये गए परिवर्तनों के बारे में भी कार्यशाला में बताया गया।

कार्यशाला के अंतिम सत्र में प्रो. भारद्वाज ने छात्रों को डेटा विश्लेषण तथा उसके परिणामों की व्याख्या के बारे में महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होने छात्रों से तर्कसंगत शोध करने की और शोध की पुनरावृत्ति से बचने की सलाह दी।

कार्यशाला के समापन सत्र में भूगोल विभाग के समस्त प्राध्यापक गण तथा पी.आर.सी. के सभी इन्वेस्टीगेटर उपस्थित रहे। इस अवसर पर कार्यशाला के समन्वयक डॉ. हेमंत पाटीदार ने प्रथम “ज्ञान समृद्धि” कार्यशाला के आयोजन हेतु माननीय कुलपति द्वारा दिए गए मार्गदर्शन हेतु धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इस संबंध में कुलपति जी द्वारा प्राप्त मार्गदर्शन से कार्यशाला का सफल आयोजन संभव हो सका। 

उन्होने तीन दिवसीय कार्यशाला के आयोजन की रूपरेखा बनाने और उसके क्रियान्वयन हेतु आवश्यक मार्गदर्शन के लिये प्रो. भारद्वाज को धन्यवाद दिया। कार्यशाला में विषय वक्ता के रूप में आमंत्रित प्रो. श्रीकमल शर्मा तथा प्रो. संतोष शुक्ला को भी धन्यवाद प्रेषित किया। डॉ. प्रवेंद्र कुमार तथा डॉ. आर. बी. अनुरागी ने भी इस अवसर पर छात्रों को संबोधित किया।उन्होने पी.आर.सी. के डॉ. निखिलेश परचुरे, डॉ. ज्योति तिवारी तथा डॉ. निकलेश कुमार के विशेष सहयोग हेतु धन्यवाद दिया।

इस अवसर पर डॉ. सतीश सी. ने सभी उपस्थित शिक्षकों, पी.आर.सी. सदस्यो तथा विभाग के सभी सहयोगियों का इस कार्यशाला के सफल आयोजन हेतु आभार व्यक्त किया तथा छात्रों से इस कार्यशाला के बारे अपने फीडबेक देने का आग्रह किया।

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