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डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में कुलपति सम्मेलन कक्ष में विश्वविद्यालय के संबद्ध महाविद्यालयों के प्राचार्यों/निदेशकों/प्रतिनिधियों की एक बैठक विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता के साथ संपन्न हुई। इस बैठक में निदेशक, महाविद्यालयीन विकास परिषद एवं संबद्ध 16 महाविद्यालयों के प्राचार्यों/निदेशकों ने भाग लिया।

बैठक में इस पर चर्चा की गई कि विगत वर्षों में विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों के लिए नवीन पाठ्यक्रमों के संचालन हेतु अनुमतियाँ प्राप्त नहीं हो पा रही हैं, इससे महाविद्यालय विश्वविद्यालय के साथ कदम से कदम मिला कर शैक्षणिक प्रगति के पथ पर अग्रसर नहीं हो पा रहे हैं। 

कुलपति महोदया ने इस विषय की गंभीरता को समझते हुये अविलम्ब इस समस्या के समाधान हेतु विद्या परिषद् की बैठक में प्रस्ताव लाने एवं विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद् के समक्ष इस विषय को रखने के निर्देश दिये।

निदेशक/प्राचार्य/प्रतिनिधि संबद्ध महाविद्यालयों ने अपने अपने महाविद्यालय में स्नातक स्तर पर एवं स्नातकोत्तर स्तर पर नवीन पाठ्यक्रम हेतु उपलब्ध संसाधनों से अवगत कराते हुये निवेदन किया कि विश्वविद्यालय निरीक्षण कर महाविद्यालयों में उपलब्ध संसाधनों का निरीक्षण करा कर नवीन पाठ्यक्रमों के लिये आवश्यक आधारभूत संरचना एवं अन्य अनुषांगिक संसाधनों का अवलोकन कर नवीन पाठ्यक्रम के लिए अनुमति प्रदान करें, जिससे महाविद्यालय विश्वविद्यालय के अकादमिक प्रगति के प्रति उठाये जा रहे अवसरों के अनुरूप शैक्षणिक माहौल तैयार कर सके।

बैठक में कुलपति ने संबोधित करते कहा कि उनका मन्तव्य है कि विश्वविद्यालय के संबद्ध महाविद्यालय शैक्षणिक एवं अकादमिक प्रगति के सोपानों पर आगे बढ़े। विश्वविद्यालय हर स्तर पर जो भी सहयोग होगा, उसे प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। विश्वविद्यालय के द्वार महाविद्यालयों के लिए खुले हुये हैं। 

महाविद्यालय के विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय के विभाग, पुस्तकालय, प्रयोगशालायें एवं शोध हेतु जिन भी संसाधनों की आवश्यकता है, विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों के साथ-साथ महाविद्यालय के विद्यार्थियों को भी सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सतत् तैयार है।

उन्होंने कहा कि संबद्ध महाविद्यालयों के लिए विश्वविद्यालय एक सेतु है। विश्वविद्यालय की अकादमिक उन्नति के साथ साथ महाविद्यालयों की अकादमिक प्रगति भी आवश्यक है। 

अकादमिक एवं खेलकूद गतिविधियों के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों, वाद-विवाद प्रतियोगिताओं, शैक्षणिक गतिविधियों संबद्ध महाविद्यालय के विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के साथ सहभागिता करना चाहिये। इस हेतु निदेशक, महाविद्यालयीन विकास परिषद् को कार्य योजना बनाने के लिए निर्देशित किया गया है।

उन्होंने संबद्ध महाविद्यालयों की महत्वपूर्ण समस्या , नवीन पाठ्यक्रमों की अनुमति के संबंध में कहा कि इसका समाधान विद्या परिषद् एवं कार्यपरिषद् के माध्यम से ही निकाला जा सकता है। 

विश्वविद्यालय इस संबंध में शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली से मार्गदर्शन प्राप्त कर एवं अन्य केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में इस दिशा में उठाये गये कदमों के अनुरूप यथाशीघ्र निर्णय कर इस समस्या का सकारात्मक हल निकालने का प्रयास करेगा। 

साथ ही उन्होंने कहा कि संबद्ध महाविद्यालयों के लिए स्थायी संबद्धता प्रदान किये जाने विषयक प्रस्ताव पर भी केन्द्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 एवं परिनियम तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रावधानों के अनुरूप कार्यवाही की जायेगी। 

कुलपति महोदया ने संबद्ध महाविद्यालयों के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् से अपने अपने महाविद्यालयों के मूल्यांकन कराये जाने एवं अकादमिक प्रगति के लिए शैक्षणिक माहौल तैयार किये जाने पर जोर दिया तथा निकट भविष्य में महाविद्यालयों हेतु जागरूकता कार्यशाला के सहयोग से संपन्न करवाई जायेगी, जिससे कि महाविद्यालयों को उचित मार्गदर्शन मिल सके।

डॉ. गुप्ता, टाइम्स कॉलेज, दमोह ने संबद्ध महाविद्यालयों की समस्याओं के त्वरित निराकरण, महत्वपूर्ण सुझावों एवं कार्यों के त्वरित क्रियान्वयन के लिये माननीया कुलपति महोदया का आभार माना। धन्यवाद ज्ञापन के साथ बैठक संपन्न हुई।

संबद्ध महाविद्यालयों के प्राचार्यों की ओर से संयुक्त रूप से डॉ. विवेक रावत, डॉ. सुनील गुप्ता डॉ. धकाटे, डॉ. तिवारी, डॉ. अशीष पटेरिया एवं डॉ. राजू टंडन उपस्थित थे।

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