Board Exam, Collector,Parents
परीक्षा केन्द्र पर निर्धारित समय से देर से पहुंचने पर केन्द्र प्रभारी ने दो विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठने नहीं दिया। मामला मीडिया मे आते ही प्रशासन सक्रिय हो गया। चुंकि मामला प्रदेश के एक कद्दावर मंत्री के क्षेत्र का भी था इसलिए प्रशासन ने आनन-फानन में मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय तीन सदस्यीय जांच समिति गठित कर दी।
कलेक्टर ने भी मीडिया को बयान जारी करने में देरी नहीं की और कहा कि जांच समिति शाम तक ही अपनी जांच रपट देगी। जांच समिति की रपट देर शाम को ही कार्रवाई के लिए संभागायुक्त को भेज दी गयी। जबकि कलेक्टर ने परीक्षा केन्द्र के प्रभारी को हटाने व नए केन्द्राध्यक्ष को नियुक्त करने के आदेश जारी कर दिए।
लेकिन इस सारे घटनाक्रम से कई सवाल उठ रहे हैं- सवाल यह है कि-
- क्या विद्यार्थियों को परीक्षाओं में समय पर पहंचने के मामले में अतिरिक्त सर्तकता नहीं बरतनी चाहिए ?
- निर्धारित समय से देर से आने पर परीक्षा में प्रवेश नहीं देने के परीक्षा मंडल के निर्देशों का पालन कराना शिक्षकों के लिए सजा की वजह क्यों बने ?
- अगर विद्यार्थियों के विलम्ब से आने की वजह को वाजिब मानकर कोई शिक्षक उन्हें प्रवेश देता भी है तो क्या वह परीक्षा मंडल के नियमों की अवहेलना करने के आरोपों के घेरे में नहीं आ जाता ?
- इस सारे घटनाक्रम के सिलसिले में प्रशासन के किसी जिम्मेदार नुमाईंदे या जनप्रतिनिधि द्वारा नैतिक आधार पर विद्यार्थियों को परीक्षा के नियमों का पालन सख्ती से करने के लिए सार्वजनिक तौर पर नसीहत क्यों नहीं दी जानी चाहिए ?
- जब परीक्षा मंडल के साफ-साफ निर्देश हैं कि बोर्ड की परीक्षाओं में शामिल हो रहे विद्यार्थियों को सुबह साढ़े आठ बजे तक अनिवार्य रूप से परीक्षा केन्द्र पर उपस्थित होना है व किसी भी विद्यार्थी को आठ बजकर पैतालिस मिनिट के बाद परीक्षा केन्द्र में प्रवेश नहीं दिया जाएगा तो तय समय से देर से आने वाले विद्यार्थियों को प्रवेश से रोकना गुनाह कैसे हो सकता है?
- इस पूरे घटनाक्रम में परीक्षा से वंचित हुए विद्यार्थियों के अभिभावकों की भूमिका भी सामने नहीं आयी कि आखिर उन्होंने बारहवी बोर्ड के जैसी अहम परीक्षा में अपने बच्चों को तय समय से पहले परीक्षा केन्द्र पर पहुंचना सुनिश्चित कराने के लिए कितनी चिंता की थी?
इन सवालों पर भी सवाल उठाए जा सकते हैं लेकिन विद्यार्थियों के भविष्य का ख्याल रखने वालों के जेहन में यह बात भी रहना चाहिए कि अनुशासन भी कोई चीज होती है। इसके बिना भविष्य निर्माण नहीं हो सकता है।
यह घटना अपवाद हो सकती है लेकिन इस घटना के बहाने इन सवालों पर तो विचार किया ही जा सकता है।
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