Nagar Nigam Scandal- बाज़ार बैठकी वसूली का ठेका चहेतों को सौपाने से निगम को लगा घाटा
सागर वॉच/ मध्य प्रदेश शासन के नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह जहां एक और उनके गृह जिले सागर में नगर निगम को राजस्व करों का संग्रहण पिछले वर्षों के मुकाबले ज्यादा होने के अधिकारीयों के दावों पर खुशी जाहिर कर सकते हैं लेकिन दूसरी ओर बाज़ार बैठकी की वसूली के मामले में इन्हीं अधिकारीयों द्वारा लिए फैसले से निगम को हुए एक करोड़ रुपये से अधिक के घाटे पर उन्हें अफ़सोस भी जाहिर करना पड़ सकता है।
सवाल यह उठ रहा है कि आखिर ऐसी क्या वजह है जो निगम ने बाज़ार बैठकी का काम पूर्व के ठेकेदारों द्वारा करीब पौन करोड़ रुपये के वसूली किये जाने के बावजूद निगम के ही कुछ चुनिन्दा कर्मचारियों को सौंप दिया जो महज बीस-बाईस लाख की ही वसूली कर पाए और निगम को करोड़ों का घाटा करा दिया। जबकि निगम कर्मचारियों द्वारा वसूली जा रही यह राशि वसूली में लगे इन कर्मचारियों के सालाना वेतन से भी कम है।
बताया गया है कि पिछले दो सालों से नगर निगम बाजार बैठकी का ठेका किसी ठेकेदार को न दे कर विभागीय स्तर पर किसी दीगर विभाग के कर्मचारियों से कर की वसूली करा रहा है। और वह भी पूर्व के लक्ष्यों की एक तिहाई।
चालू वित्तीय वर्ष में नगर निगम द्वारा बाजार बैठकी से लगभग 27 लाख रुपये कर वसूली का अनुमान है। विभागीय स्तर पर हो रही इसकर वसूली में नगर निगम के 6 कर्मचारी लगे हुए हैं। जिनके वार्षिक वेतन पर 20 लाख रुपये से अधिक की राशि व्यय हो रही है।
पिछले वित्तीय वर्ष में नगर निगम को बाजार बैठकी से सिर्फ 22 लाख रुपये की राशि मिली थी और कर वसूली करने वाले कर्मचारियों के वेतन पर 20 लाख रुपये की राशि खर्च कर दी गई। यानि इन दो वर्षों में नगर निगम को बाजार बैठकी के रूपमें सिर्फ 9 लाख रुपये की आय होना दिख रहा है।
बाज़ार बैठकी के सिलसिले में हुए फैसलों की नगर निगम प्रशासक और नगर निगम आयुक्त की भूमिकाओं के लेकर भी चर्चे हो रहे हैं। बाजार बैठकी की जो टेण्डर राशि निगम द्वारा प्रस्तावित की गई थी उसके अनुरूप ठेकेदार न मिलने पर विभागीय स्तर पर कर वसूली का निर्णय लिया गया था।
निगम में बाजार विभाग की जिम्मेदारी अधिकारी के पास है उससे निगम बाज़ार बैठकी की वसूली नहीं करा रहा है बल्कि कथित तौर पर बाज़ार विभाग के समानांतर व्यवस्था एक नयी व्यवस्था कर कुछ चुनिन्दा कर्मचारियों को निगम आयुक्त ने बाजार बैठकी वसूली की जिम्मेदारी सौंप रखी है।
नगर निगम के द्वारा बाजारों में कराई जाने वाली बाजार बैठकी की वसूली में कर संग्राहक कमजोर साबित हो रहे है। ठेकेदारों की तुलना में विभागीय कर्मचारी आधी भी वसूली नहीं कर पा रहे हैं। पिछले दो वर्ष से वैश्विक महामारी कोरोना के चलते निगम के बाजारों में बैठकी की वसूली हेतु ठेकेदार नहीं मिल सके हैं।
जिसके चलते निगम के कर संग्राहकों के माध्यम से वसूली कराई गई तो निर्धारित ठेके की एक चौथाई वसूली भी नहीं हो पा रही है जबकि निगम के जिन कर्मचारियों से वसूली कराई जा रही है उन पर साल भर में वेतन के रूप में वसूली से अधिक राशि दी जा रही है।
पिछले एक वर्ष के दौरान ही बाजार बैठकी हेतु तीन बार निविदा निकाली जा चुकी है जिसकी ऑफसेट कीमत 1 करोड़ रूपए रखी गई, जिसमें ऑफसेट कीमत से 2 बार कम बोली आने पर निगम द्वारा ठेकेदार को नहीं दिया गया जबकि एक बार 54 लाख रूपए और दूसरी बार 52 लाख रूपए का ऑफर मिला जो कि विभागीय वसूली से आज की स्थिति में दोगुनी राशि है।
वहीं निगम की अधिकांश शाखाओं में समानांतर व्यवस्था चलाई जा रही है जिसमें विभाग का प्रभारी कोई और है तो अन्य कर्मचारी काम देख रहे हैं। 5 वर्ष की बाजार बैठकी वसूली- एक नजर में कोरोना काल के पूर्व पांच वर्षों पर नजर डाली जाए तो निगम द्वारा बाजार बैठकी की वसूली हेतु दिए गए ठेके के अनुसार शत-प्रतिशत राशि मिली। ठेकेदारों प्रतिदिन 20 हजार के आसपास वसूली की गई।
वर्ष 2015-2016 में 71 लाख 51 हजार 111,
2016-2017 में 51 लाख 101 रूपए,
2017-2018 में 72 लाख 13 हजार 605 रूपए,
2018-2019 में 71लाख 25 हजार और
2019-2020 में 65 लाख तीन हजार 934 रूपए की वसूली हुई है.
वर्ष 2020-2021 में 22 लाख 28 हजार 755 रूपए की राशि प्राप्त हुई. वित्तीय वर्ष में आमंत्रित निविदा के फलस्वरूप 33 लाख रूपए निविदा ऑफर प्राप्त हुआ था, जो कि ऑफसेट कीमत से कम होने के कारण निगम प्रशासन द्वारा विभागीय वसूली मुहर्रर/कर संग्राहक से कराए जाने का निर्णय लिया था।
बाजार बैठकी नस्ती प्रशासक के पास पिछले वर्ष निगम के कुछ घोटालों को लेकर तत्कालीन कलेटर द्वारा निगम आयुक्त को छह नस्तियां उपलध कराने के लिए पत्र जारी किया था. निगम प्रशासन द्वारा नस्तियां तत्कालीन कलेटर को उपलध नहीं कराई गई थी,जिसमें बाजार बैठकी ठेका संबंधी नस्ती भी शामिल थी. जो कि निगम प्रशासन द्वारा प्रशासक के पास भेज दी गई थीं, जो आज भी प्रशासक कार्यालय में रखी हैं।
तत्कालीन कलेटर द्वारा 6 जुलाई 2021 को मांगी गई 6 नस्तियों में गुलाब बाबा मंदिर के सामने वाली सड़क निर्माण, 2018 के होर्डिंग्स ठेका, छत्रसाल नगर की दुकानों की आवंटन, बाजार बैठकी, अटलपार्क की 2 नस्तियां शामिल थीं जिसमें आईसीएच को आवंटित बिल्डिंग संबंधी नस्ती भी शामिल थी। अटल पार्क में पर्यावरण वानकी से संबंधित नस्ती उपलध कराने को कहा गया था।
वर्ष 2009 से कटरा क्षेत्र बाजार बैठकी से मुक्त शहर के हृदय स्थल जामा मस्जिद के चारों ओर सहित राहतगढ़ बस स्टैंड तक अतिक्रमण मुक्त कराने के उद्देश्य से 2009 में तत्कालीन भाजपा शासित परिषद द्वारा प्रस्ताव पारित कर उपरोक्त क्षेत्र बाजार बैठकी से मुक्त कर दिए गए थे जो कि आज भी बाजार बैठकी से मुक्त हैं मगर सड़क किनारे और सड़क पर बाजार लगा देखा जा सकता है जिनसे अघोषित रूप से 5 रूपए और 10 रूपए बैठकी के रूप में वसूले भी जा रहे है।
Post A Comment:
0 comments so far,add yours