Dialogue On Internship Programme-शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों को समझे ना कि व्यवस्था के दोषों पर नहीं

Dialogue On Internship Programme-शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों को समझे ना कि व्यवस्था के दोषों पर नहीं
सागर वॉच /15 दिसंबर, 2021/ 

शिक्षाशास्त्र विभाग में विद्यालय प्रशिक्षु कार्यक्रम पर एक संवाद  (अ डायलॉग ऑॅन स्कूल इंन्टनशीप प्रोग्राम) पर एक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों से आचार्य, प्रयोगशाला  विद्यालयों व शिक्षक शिक्षा महाविद्यालयों से प्राचार्य पधारे। 

कार्यक्रम की रूपरेखा स्वागत भाषण विभागाध्यक्ष डॉ. रश्मि जैन ने प्रस्तुत की। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय की माननीया कुलपति डॉ. नीलिमा गुप्ता रहीं। विशिष्ट अतिथि के रूप में डीन डॉ. ए. के. त्रिपाठी, लोक शिक्षा संचनालय ज्वाइन्ट डायरेक्टर मनीष वर्मा, सहायक निदेशक  आशुतोष गोस्वामी उपस्थित रहे। मंच संचालन डॉ. बुध सिंह ने किया। 

कुलपति महोदया ने अपने उद्बोधन
में छात्र - अध्यापक,  छात्रा - अध्यापिकाओं को संबोधित करते हुए कहा कि सबसे अच्छी बात यह है कि आप के मन में यह बात आई की मुझे शिक्षक बनना है। शिक्षक का दायित्व है कि वो आजीवन अध्ययन करता रहे। नये शोध में सहभागिता करे। जैसे कोरोना काल ने हम सबको ऑन लाइन टीचिंग सिखा दी ऐंसे भी हम नई चीजें समय के साथ सीख जाते हैं। 

डॉ. अभिषेक कुमार प्रजापति ने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से विभिन्न कालों की शिक्षा व्यवस्था के संबंध में बात की साथ की, एवं  एन.सी.टी.ई. की भूमिका के संबंध में बात की। जैन हाईस्कूल के प्राचार्य ने कहा आज के समय में यह जरूरी है कि किताबी ज्ञान को व्यवहारिक रूप में प्रस्तुत किया जाए। डीन महोदय डॉ. ए. के. त्रिपाठी ने अपने अध्यापक  जीवन के अनुभव साझा किए और कहा कि शिक्षण एक मिशन है। समाज के निर्माण में शिक्षकों की महती भूमिका है। 

केन्दीय विद्यालय -4 के प्राचार्य महोदय ने कहा छात्र- अध्यापक, छात्रा-अध्यापिकाओं को छह महीने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए साथ ही स्टाइफन मिलना चाहिए। शिक्षक दैनांदिनी व कक्षा शिक्षण में अंतर देखने को मिलता है इस अंतर की भरपाई की जानी चाहिए। केन्दीय विद्यालय -1 की शिक्षिका ने शुभकामनाये देते हुए कहा कि शिक्षक बनना एक जिम्मेदारी है। 

लोक शिक्षा संचलानालय के संयुक्त निदेशक  मनीष वर्मा ने संपूर्ण प्रबंधन व्यवस्था प्राचीन गुरूकुल व्यवस्था की व्यवहारिकता की बात की उन्होंने  कहा की शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों को समझे ना कि व्यवस्था के दोषों पर फोकस करे। आभार डॉ. धर्मेन्द्र कुमार सर्राफ ने किया। कार्यक्रम में शिक्षाशास्त्र विभाग से डॉ. शकीला खान, डॉ अनूपी समैया, श्रीमती अपर्णा श्रीवास्तव, डॉ. रमाकान्त, श्री योगेश सिंह, श्रीमती कंचन चौरसिया उपस्थित रहीं। 

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