Bhagwat Katha Day-2-भाव सांसारिक वस्तुओं के लिए नहीं भागवत प्राप्ति के लिए रखें -नागर जी
सागर वॉच। 28 दिसम्बर 2021। गाय पशु नहीं है,तुलसी वृक्ष नहीं है,श्रीमद् भागवत कोई कहानी नहीं है और भारतवर्ष कोई मिट्टी का ढेला नहीं है| इन सब में परमात्मा का वास है इनके प्रति श्रद्धा,भक्ति और विश्वास होना जरूरी है| यह बात ग्राम पटकुई बरारू वृंदावन धाम परिसर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा सप्ताह के द्वितीय दिवस संत कमल किशोर नागर जी ने कही|
उन्होंने भाव की अहमियत बताते हुए कहा कि भगवान को पाने के लिए ह्रदय में भाव होना चाहिए| अपना भाव इतना बड़ा दो कि आसमान छुए, लेकिन भाव भागवत प्राप्ति के लिए होना चाहिए ना की सांसारिक वस्तुओं के लिए| संत श्री के मुताबिक राम से राम का नाम बड़ा है, नारी से उसका सुहाग बड़ा है, पृथ्वी से आकाश बड़ा है, कृष्ण से उनकी कथा बड़ी है और मारने वाले से बचाने वाला सबसे बड़ा है|
संत श्री नगर ने सुख और दुःख पर कहा किसंसार में सब कुछ खरीदा जा सकता है लेकिन कभी सुख नहीं |इसी तरह दुख को बेचा नहीं जा सकता| जिनके कर्म अच्छे हैं तो सुख उनके पुण्य रूपी भंडार में जमा हो जाता है | हरि गुण गाने से ही पाप घटता है|
वृंदावन धाम के पंडाल में बड़ी संख्या में कथा श्रवण के लिए उपस्थित श्रद्धालुओं को कथा का अमृत पान कराते हुए पंडित कमल किशोर नागर जी ने कहा कि अपने जीवन में गाय की सेवा करके, सत्संग करके, ध्यान करके, माला जप के देखो कभी रक्तचाप नहीं होगा| रक्तचाप पहले नापना और यह सब करके नापना, अंतर समझ में आए तो यही करना और इसे प्रभु की कृपा समझना|
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