Religious Discourse 7th Day-सद्गुरु वही जो बिगड़े हुए को भगवान् के चरणों तक ले जाये
सागर वॉच। श्री 1008 स्वामी श्री महंत किशोरदास महाराज ने कहा कि संत समागम में नित्य नियम से अनेक अनुष्ठान प्रतिदिन चल रहें है। सभी ठाकुर जी ही कर रहे हैं और करा रहें हैं। वो कुछ भी नहीं कर रहे हैं।
मकरोनिया दीनदयाल नगर स्थित एस.वी.एन कॉलेज परिसर में चल रही श्री भक्त माल कथा संत समागम के सप्तम दिवस पर कथा करते हुए स्वामी जी ने कहा कि सागर वासियों पर विशेष कृपा करके यह महामहोत्सव हो रहा है।
स्वामी जी ने कहा कि सेवा फल कभी कम नहीं होता सदैव बढ़ता रहता है। जीवन में खान-पान भी शुद्ध होना चाहिए। आचार-विचार और खान-पान शुद्ध होगा तभी तो आचरण भी शुद्ध होगा। जैसा खाए अन्न वैसा करे मन, जैसा पीए पानी वैसी निकले वाणी।
स्वामी जी के मुताबिक सद्गुरू वो हैं जो बिगड़े हुए लोगों को ठाकुर जी के श्री चरणों तक ले आते हैं प्रथम गुरू माता-पिता, द्वितीय गुरू विद्या, तृतीय गुरू कुल गुरू और चतुर्थ गुरू सद्गुरू। सद्गुरू वह हैं जो संसार सागर रूपी समुद्र से पार कराकर श्यामा-श्याम रूपी परमात्मा में मिला देते हैं तो और मनुष्य अनन्त में समाहित हो जाते हैं।
श्री राम चरित मानस की चौपाई का उदाहरण देते हुए स्वामी जी ने कहा कि जब संसार में परमधाम के स्वामी ठाकुर जी जब इस मृत्युलोक में आते हैं तो पहले गुरू अर्थात अपने माता-पिता को प्रणाम करते हैं।
Post A Comment:
0 comments so far,add yours