Art and Culture-"रियाज़ सभा" के द्वितीय संस्करण में हुआ सावनी गोगटे का गायन

Art and Culture-"रियाज़ सभा" के द्वितीय  संस्करण में हुआ सावनी गोगटे का गायन

सागर वॉच
 रागशाला एवं स्टूडियो अनश्ते के संयुक्त प्रयास से भारतीय शास्त्रीय संगीत के प्रसार हेतु "रियाज़ सभा" के द्वितीय  संस्करण का आयोजन किया गया ।  कार्यक्रम के द्वितीय संस्करण में ग्वालियर घराने की गायिका/गुरु विदुषी शुभदा ताई पराडकर जी की शिष्या सावनी गोग्टे जी का शास्त्रीय गायन हुआ

जिसमें उन्होंने  राग श्री में विलंबित खयाल 'साँझ भई' ताल झूमरा में, मध्यलय में ख्याल 'चलो री माई राम सिया दर्शन को'  ताल तीनताल में एवं द्रुत लय में तराना ताल तीनताल में निबद्ध प्रस्तुत किया गया 

तत्पश्चात राग सूरमल्हार में बिलम्बित ख्याल 'चमके बिजुरिया बरसे मेहरबा'  ताल तीनताल में मध्यलय में छोटा ख्याल 'गरज गरज चहूँ ओर डरपाये' एवं तत्पश्चात सावन के महीने में गाई जाने वाली गायन शैली झूला ' आवो सब सखियन झूलन बँधावो' और अंत में भजन 'इक  सूर्य चराचर छायो' गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया । 

तबले पर कुशल संगत डॉ. राहुल स्वर्णकार जी ने की एवं हारमोनियम पर श्री यश गोपाल श्रीवास्तव जी ने कुशल संगत की । तानपुरा पर कु. दीप्ति तिवारी एवं कु. वन्शिका व्यास रही। शावनी गोग्टे का सत्कार रागिनी श्रीवास्तव ने एवं  डॉ. राहुल स्वर्णकार का सम्मान अखिलेश अहिरवार,आकाश जैन एवं गगन राज ने किया 

गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम  भारतवर्ष के समस्त संगीत  के महान गुरुओं एवं संगीतज्ञाें को समर्पित रहा। शहर के संगीतप्रेमी श्रोतागणों ने पिछली बार की तरह इस बार भी बढ़-चढ़कर रियाज़ सभा में अपनी उपस्तिथि दर्ज की। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शन पार्थो घोष जी ने किया।

कार्यक्रम का सफल  संचालन क्षितिज जैन ने किया । उपस्थित  श्रोताओं एवं वरिष्ठ जनों ने कार्यक्रम को काफी सराहा इस उपलक्ष्य में सागर शहर के  विश्विद्यालय के वरिष्ठ पदाधिकारी एवं संगीत के प्राध्यापक, व्याख्याता एवं सभी श्रोता अनुरागी सभी उपस्थित रहें। यह आयोजन सभी युवाओं एवं  हरिसिंह गौर विश्वविध्यालय के संगीत विभाग व नाट्यकला  के विद्यार्थियों द्वारा किया गया।

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