Bhagwat Katha Day-7-आग लगा दो ऐसी संपत्ति को जो अपनी रक्षा के लिए आपको रोके-संत कमल किशोर

Bhagwat Katha Day-7-आग लगा दो ऐसी संपत्ति को जो अपनी रक्षा के लिए आपको रोके-संत कमल किशोर

सागर वॉच/ 02 जनवरी 2021/
 
लोग परिवार से बंधे हैं। धन दौलत, जमीन, जायदाद के चक्कर में उलझे हैं। धन कमाने की लालसा उतनी है कि उसमें ही सुख तलाशा जा रहा है । जो सुख पाने के चक्कर में लगा रहा और धर्म सत्कर्म ध्यान में मन नहीं लगा, तो उसे आखिर में दुख अवश्य उठाना पड़ेगा। धर्म के लिए घर से बाहर निकलो और आग लगा दो ऐसी प्रॉपर्टी,संपत्ति जो अपनी रक्षा के लिए आपको रोकती है। संत कमल किशोर नागर जी ने पटकुई बरारू वृंदावन धाम में श्रीमद् ज्ञानगंगा भागवत कथा की पूर्णाहुति के अवसर पर श्रद्धालुओं के समक्ष व्यक्त किए।

उन्होंने बेबसी के बारे में कहा सागर में रहने वाले सागर से ही शुरू होते हैं। सागर का फैलाव तो करोड़ों कोस है लेकिन उसकी बेबसी है, जो वह किसी से कह नहीं सकता। सागर की बेबसी यह है कि वह सब कुछ कर सकता है, लेकिन बह नहीं सकता। इससे तो लाख अच्छी नदियां और झरने हैं, जो हिंदुस्तान की यात्रा तो करते हैं फिर चाहे वह भले ही सागर में समा जाए। 

सागर भी नदी, झरना की तरह बहना  चाहता है...

श्रीमद् ज्ञानगंगा भागवत कथा सप्ताह के अंतिम दिवस कथा वाचक पं. कमल किशोर नागर जी ने कहा कि कथा यजमान ने श्रद्धा भाव से जो पुरुषार्थ किया है भुलाया नहीं जा सकेगा। हमें हमेशा ध्यान रखना है कि छोटी सी व्यवस्था से संतुष्ट रहना है। यदि विस्तार कर दिया तो सागर की तरह कर सकते हो,लेकिन फिर अव्यवस्था होती है। ध्यान रखो कि सागर भी नदी, झरना की तरह बनना चाहता है, ताकि बह सके।

सागर भी तैयार होकर उठता है बहने के लिए, निकलता है लेकिन किनारे से टकराकर वापस लौट जाता है। सागर की बेबसी को समझ कर आप भी नदी, झरने की तरह बनो और धर्म कर्म की राह पर बहने का प्रयास करो। सत्कर्म के मार्ग पर चलोगे तो नदी, झरने की तरह दूसरों के काम आओगे और खुद का भी उदधार करोगे।

संत श्री ने कहा कि आजकल सबसे बड़ी समस्या है सुख के पीछे भागना, धन के पीछे भागना ।धन तो एक नर्तकी भी कमा लेती है। धन कमाओ तो दान पुण्य भी कमाते चलो। अंतसमय में दुख नहीं सहना पड़ेगा और आराम से सद्गति मिलेगी। 

समस्या पाने की नहीं,छोडऩे की है...

समस्या पाने की नहीं,छोडऩे की है संत श्री नागर जी ने कहा कि वर्तमान में समस्या कोई चीज पाने की नहीं बल्कि किसी का त्याग करने की है। जो आपाधापी में लगे रहे और उस पृथ्वी पर कीमती सामान छोड़ गए, उन्हें फिर वापस आना पड़ेगा और जो झोपड़ पट्टी में रहे, भगवान में ध्यान लगाया ,ना कुछ लाए ना ले गए ,उन्हें लौटना नहीं है। 

यह युग भी हल्का है और लोग की सोच भी हल्की है। हम खाए जा रहे हैं लेकिन त्यागने की इच्छा नहीं है । जिस तरह भोजन ग्रहण करते हो, पेट में संग्रह करते हो और यदि अचानक मल के रूप त्यागने की बारी आ जाए तो व्यवस्थाएं जैसे लोटा ,एकांत जगह आदि तलाश लेते है। 

वस्तु संग्रह से पहले उसके त्यागने पर ध्यान दो..

संग्रह के बारे में नहीं सोचा लेकिन त्यागने के बारे में कितना सोचना पड़ा। व्यवस्थाएं करना पड़ी।इसलिए कोई भी वस्तु संग्रह करने के पहले उसके त्यागने पर ध्यान दो, त्याग करके भगवान के भजन में मन लगाओ तो जीवन तर जाएगा। संत श्री नागर जी ने कहा कि हमेशा भजन करो तो यह ध्यान रखो कि अपने देश के लिए कर रहे हो। 

मेरा भारत महान बने ऐसी कामना रखो। भजन अपनी सीमा पर देश की रक्षा के लिए लगे जवानों के लिए करो ,ताकि वह यश कीर्ति प्राप्त करके लौटे और भारत का गौरव बढ़ाएं। पाषाण में ही परमात्मा का निवास रु€मणी ने दुर्गा के रूप में मूर्ति की पूजा की थी तब उन्हें भगवान मिले। मूर्ति भले ही पाषाण की हो, लेकिन उसमें निवास भगवान का ही होता है। पाषाण में भगवान का नाम होता है, इसलिए उसे पूजा जाता है। 

108 मनकों की माला फेरोगे तो शासन की 108 नहीं बुलानी पड़ेगी..

भगवान राम का नाम लिखकर, जब पत्थर पानी में तैरने लगे तो, मनुष्य भी राम का नाम लेकर इस बैतरणी रूपी सागर को पार कर सकता है। संत श्री ने कहा कि माला टांगने के लिए नहीं, फेरने की चीज है। यदि माला टांग दी जाए तो आपकी जिंदगी भी टंगी रह जाएगी । माला में 108 मनके रहते हैं और इससे जाप करने से हरि मिलते हैं। 

आजकल तो शासन ने भी 108 एंबुलेंस की व्यवस्था कर रखी है। इसको समझो जब आप किसी दुर्घटना या शारीरिक क्षति के शिकार होते हो ,तो 108 को फोन लगाते हो। वह तत्काल आकर आपको मुकाम तक पहुंचा देती है। इसी तरह 108 मनकों की माला फेरोगे तो शासन की 108 की जरूरत नहीं पड़ेगी ।

फिर हो सकती है कथा संत कमल किशोर नागर ने श्री मद्भागवत कथा के यजमान  रामश्री, श्याम केशरवानी का विभिन्न व्यवस्थाओं के लिए तारीफ की, धन्यवाद ज्ञापित किया एवं कहा की एक और यजमान ने अगले वर्ष इन्हीं दिनों में कथा कराने के लिए इच्छा व्यक्त की है। सागर तो सागर है और यहां के श्रद्धालुओं की इच्छा, भावनाओं को देखकर को इस पर विचार किया जा सकता है ।

श्रीमद् भागवत कथा का समापन 

गीता पाठ के साथ पटकुई बरारू में श्रीमद् भागवत कथा का समापन हुआ। नागर जी ने किया सम्मानित  श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिवस लोक निर्माण  मंत्री पंडित गोपाल भार्गव ने कथा का रसास्वादन किया एवं पंडित नागरजी से भेंट की। कथा के सफल आयोजन के लिए खनिज विकास निगम उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह मोकलपुर, पंडित सुशील तिवारी, नरयावली विधायक प्रदीप लारिया राजेश केशरवानी,सोहन, मोहन, अनिमेष केशरवानी, राकेश राय, मदन सिंह राजपूत, कृष्ण मोहन माहेश्वरी, राजेंद्र बरकोटी, इंद्रराज सिंह केरबना, जगदीश गुरु, विनोद गुरु, प्रवीण केशरवानी आदि का पंडित नागर ने हाटकेश्वर धाम का प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

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