Protocal-गौर-उत्सव-आयोजन-के-आमंत्रण-पत्र-पर-उठ-रहे-हैं-सवाल ..?

Protocal-गौर-उत्सव-आयोजन-के-आमंत्रण-पत्र-पर-उठ-रहे-हैं-सवाल ..?
सागर वॉच। मप्र के सबसे पुराने और पहले केंद्रीय विश्वविद्यालय के संस्थापक  डॉक्टर सर हरीसिंह गौर की जयंती पर  विश्वविद्यालय द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं जो लगातार एक हफ्ते तक चलेंगे। इस सिलसिले में विश्वविद्यालय प्रबंधन ने शनिवार को पत्रकार वार्ता के जरिये मीडिया को विस्तृत जानकारी दी। 

पत्रकार वार्ता में विश्विविद्यालय की कुलपति नीलिमा गुप्ता ने बताया कि विश्व विद्यालय के संस्थापक  डॉक्टर हरी सिंह गौर के जन्मदिवस 26 नवम्बर को उत्साह पूर्वक मनाने के लिए 21 नवम्बर से गौर सप्ताह शुरू हो रहा है। इस सप्ताह में पहले दिन महाविद्यालयीन और स्कूली विद्यार्थियों के लिए निबंध और चित्रकला प्रतियोगिताएं के अलावा विश्वविद्यालयीन  शिक्षकों  के काव्य पाठ का  आयोजन भी किया जायेगा। 

प्रतियोगिता के दूसरे दिन खेलकूद प्रतियोगिताएँ, तीसरे व चौथे दिन लोकार्पण कार्यक्रम और गौर व्याख्यान माला, पांचवे दिन डॉक्टर हरी सिंह के जीवनवृत  का प्रदर्शन व डॉक्टर गौर परिसंवाद कार्यक्रम  और शाम को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजित किया जायेगा ।

लेकिन इस आयोजन के सिलसिले में कुछ विषयों को लेकर आम जन में चर्चाएँ भी शुरू हो गयीं हैं जिनमें कुछ विसंगितियों की और ध्यान खींचा जा रहा है। अहम् चर्चा गौर सप्ताह के कार्यक्रमों के लिए विश्विद्यालय द्वारा जारी आमंत्रण  पत्र व साहित्य को लेकर है । कहा जा रहा है । आमंत्रण पत्र में सागर लोकसभा क्षेत्र के सांसद का नाम नहीं है । जबकि केंद्रीय विश्वविद्यालय के कार्य क्रमों में केंद्र सरकार के प्रतिनिधि के तौर पर स्थानीय सांसद की गरिमामय उपस्थिति अपेक्षित मानी जाती  है 

वहीँ दूसरी और यह भी चर्चा है कि कार्यक्रम की आमंत्रण पत्र में   आमंत्रित अतिथियों के नाम के क्रम में उनके पदों की वरिष्ठता की लिहाज से विसंगति नजर आ रही है  यह आरोप लगाने वालों का तर्क है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय के  विजिटर चांसलर, कुलपति व  प्रदेश के राज्यपाल  के नियुक्ति  देश का राष्ट्रपति करता है। वहीं प्रदेश के मंत्रियों की   नियुक्ति  राज्यपाल करता है । विजिटर चांसलर भी  केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कार्यक्रमों  में राष्ट्रपति का प्रतिनिधि के तौर पर शामिल होता है

तीसरा मुद्दा  विश्वविद्यालय प्रबंधन द्वारा पत्रकारों को डॉक्टर हरी सिंह गौर के जीवन के बारे   में वितरित जानकारी के अंग्रेजी प्रारूप में डॉ गौर के नाम की स्पेलिंग, प्रचलित और अधिकृत स्पेलिंग से अलग लिखी है  विविरण में Gour के स्थान पर GAUR लिखा गया है 

कुछ जानकारों  की नजर में किसी  केंद्रीय संस्थान के प्रमुख की  हैसियत से  प्रमुख विशेष    का  घर घर जाकर आमंत्रण देने भी  प्रोटोकॉल के अनुरूप नहीं बताया जा रहा है 


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