KHABRON-KI-KHABAR -हिसाब-किताब-के-समय-क्यों-खिल-रहे-हैं-नाराजगियों-के-गुल ?

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03-June 2021

KHABRON-KI-KHABAR -हिसाब-किताब-के-समय-क्यों-खिल-रहे-हैं-नाराजगियों-के-गुल ?

देर आए दुरुस्त  आए....

बीना में एक हजार बिस्तरों का कोविड अस्पताल जल्दी ही शुरू हो जाएगा। अब ये न कहिए कि पहले पांच मई को शुरू होना था, फिर पंद्रह मई की तारीख दी फिर 25 मई की तारीख दी। कुछ लोग तो आपा खो कर कहने ही लगे होंगें  अरे मी लार्ड यह क्या है ? तारीख पर तारीख ! दौरे पर दौरे!  अरे कोई एक तारीख तो मुकर्रर कीजिए साहब बहादुर। लेकिन संतोषी प्रवृतियों वालों का भी अपना नजरिया है वो कह रहें हैं कि भाई अच्छी चीज बनने में वक्त लगता है। जितनी देरी लगेगी उतनी ही अच्छी चीज बनेगी। इसी लिए तो कहा जाता है देर आए दुरूस्त आए।

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अनलॉक की लेफ्ट-राईट शुरू 

लगभग दो महीनें के कोरोना कर्फ्यू के बाद अब लोगों का बाजार खुलने के आसार नजर आने लगे हैं। हालांकि बाजार खोलने के से पहले ही प्रशासन खूब लेफ्ट-राईट कर रहा है। सड़कों पर पोस्टर चिपका कर जनता को बता रहे हैं कौन सा बाजार बायां है और कौन सा दायां। अब तक तो कुछ खास लोगों के पास ही यह हिसाब रहता था कि दाईं या बाईं ओर किस-किस की दुकान है। लेकिन अब खरीददारों को भी एक छोटी सी डायरी बनानी पड़ सकती है।  डायरी नहीं बनाएंगे तो कैसे पता चलेगा अपनी वाली चाय की, पानी की, किराने की, हजामत की कब खुलेगी। हालांकि कुछ लोगों को तसल्ली इस बात की है कि दुकान चाहे बाईं ओर की खुले या दाईं ओर की उन्हें रोज बाहर निकलने की आजादी मिली है यह भी कम है क्या ?

हिसाब-किताब के समय क्यों खिल रहे हैं नाराजगियों के गुल ..? 

स्मार्ट सिटी के काम बेतरतीब ढंग से चल रहे हैं यह मानने वाले जनप्रतिनिधियों से भी बेहद खफा हैं। वे कहते हैं कि ठेके पर काम करने वाली कंपनियों के काम को देख कर लगता है जैसे उन पर किसी का दबाव ही नहीं है। जनप्रतिनिधि भी कंपनियों के काम-काज पर नजर रखने के लिए दौरे पर दौरे करते हैं लेकिन कहीं कोई बदलाव सा ही नजर नहीं आता है। मानसून की आहट मिलते ही लोगों का गुस्सा तालाब की बदहाली को देख कर बढ़ रहा है। 

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प्रशासन ने इसके चलते एक जांच समिति गठित की लेकिन समय बीत जाने के बाद भी उसकी रपट की कोई खबर नहीं है।  कोविड के समय नजर नहीं आने के लिए चर्चा में बने रहने वाले  जनप्रतिनिधि भी अब स्मार्ट सिटी के काम-काज पर घड़ी-घड़ी नाराजगी जताते दिखने लगे हैं। कहने वालों का क्या है वे तो कुछ भी कहने लगते हैं। अब अगर वो यह भी कहने लगें तो कोई आश्चर्य नहीं कि स्मार्ट सिटी के काम में लगीं कंपनियों के तार ऊपर से जुड़ें हैं इसलिए संत्री-मंत्री भी सिवाय कोरी बयान बाजी के कुछ ठोस कार्रवाई कर नहीं पा रहे है। 

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