Webinar-on-Covid-19-"मन-चंगा-हो-तो-शरीर-को-आसानी-से-नहीं-पकड़-पाते-हैं-रोग"

Webinar-on-Covid-19-"मन-चंगा-हो-तो-शरीर-को-आसानी-से-नहीं-पकड़-पाते-हैं-रोग"

सागर  वॉच @
  मानसिक रुप से स्वस्थ्य शरीर पर कोई भी रोग आसानी से पकड़ नही  बना  सकता और  यदि कोई  रोग  शरीर में  प्रवेश कर  भी  जावे तो इसे  जल्दी ही  मानसिक रुप  से  स्वस्थ्य शरीर के  छोड़ना ही  होता है। 
 विश्व स्वास्थ्य संगठन के पहले महानिदेशक ब्रॉक चिशहोम ने भी कहा है कि “बगैर मानसिक स्वास्थ्य के, शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर नहीं हो सकता है”।  प्रसिद्ध वैज्ञानिक जर्नल-लंसेंट ने  भी वैज्ञानिक शोधों के  आधार पर  कहा  है  कि   मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के  बीच आपसी सम्बंध होता है । सहोद्रा राय शासकीय पॉलीटेक्निक महाविद्यालय, सागर द्वारा आयोजित ऑनलाईन वेबीनार “कोविड-19 महामारी- तनाव से मुकाबला” में  यह  बात राष्ट्रीय स्तर पर 1500 से अधिक मोटिवेश्नल उद्बबोधन दे  चुके विषय प्रवर्तक प्रो. अमर  सिंह ने  कही।

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उन्होंने बताया कि कोरोना  संक्रमण के  इस  दौर  में  मानव  जीवन पर एक गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ रहा  है। जो परिवार कोरोना से पीड़ित भी नहीं हैं वो भी मानसिक तनाव से गुजर रहे हैं।  ऐसे दौर में  समाज के लिए कोरोना से  निपटने के लिए चिकित्सीय उपकरणों, संसाधनों व दवाईयों के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक तरीके की भी जरूरत है । परंतु सबसे बड़ा  सवाल यह ही है कि ऐसा  करें कैसे ?

घर  में  हमेशा सकारात्‍मक बातें करें 

इस सवाल का खुद ही जवाब देते हुए प्रो सिंह ने बताया कि तन और मन को  सेहतमंद  रखने के  लिए कुछ नया सीखते रहना चाहिए और नया करने का प्रयास भी करते रहना चाहिए । उन्होंने वेदों एवं पुराणों हवाला देते हुए कहा  कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ दिमाग रहता है। इसलिए प्रतिदिन व्यायाम, आसन, प्राणायाम करना चाहिए  तथा शरीर को स्वच्छ रखना भी आवश्यक है । चूकिं इस  दौर  में  हम  सब  घर  पर  ही  हैं  अतः  प्रयास करें कि  घर  में  हमेशा सकारात्‍मक बातें ही होती रहें । घर के  बुजुर्ग एवं  बच्चों के  साथ आवश्यक रुप  से  समय  व्यतीत करें । 

घर में अच्छा काम करने वालों की तारीफ़ भी करें 

घर  में  इंडोर गेम्स खेलते रहें । ऐसा  करने से परिवार में जुड़ाव व आपसी तालमेल भी मजबूत होगा । घर में  किसी भी  सदस्य द्वारा कुछ  भी नया  कार्य  किया गया  हो  या खेल  में  जीत  दर्ज की  गई  हो या खाना और  नाश्ता  बनाया गया हो तो तारीफ करते रहें व किसी भी  रुप  में  इन्हें पुरस्कृत  भी  करें ।  मित्रों एवं  रिश्तेदारों के  साथ  सकारात्मक बात-चीत  से  भी तनाव कम  होगा । 

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जरूरतमंदों की मदद करें 

इस  संकट के  दौर  में  यदि  आप  किसी जरुरतमंद की  मदद करेंगें तो  आपको आत्मिक शांति व सुकून मिलेगा व आपका तनाव भी  कम होगा ।   कभी-कभी घर  में  आपसे मन-मुटाव भी  हो  सकता  है  । यदि  आपको गुस्सा भी  आ रहा  हो  तो तुरंत  ही  बैठ जावें व गहरी सांसे लीजिए, आप पाऐंगें कि  आपका गुस्सा चला  गया  है  व तनाव भी  कम  हो  गया  है । 

कम से कम आठ घंटे की नींद लें 

इसके अलावा स्वस्थ्य आहार लें  व सात  से  आठ घंटे की  नींद अवश्य लें । हमें  परिस्थिति अनुसार चेतना का  विस्तार  करना होगा व  इस  प्रकार   आत्मबल का  विस्तार  होगा व विजय  प्राप्त  करना  होगा । हमें  तीन  तरह से ऊपर उठना होगा -  वैज्ञानिक अभिरुचि व चेतना का  विस्तार करना होगा,  दूसरों  से ज्यादा मेहनत करनी होगी व दूसरों  से कम उम्मीद करना चाहिए । 

 दुनिया के अधूरे  रह गए अच्छे कामों को पूरा करने की कोशिश करें 

कोरोना  के  इस  दौर  में तकनीक  का  बहुत  बेहतर उपयोग किया गया है ।  खासतौर  पर ऑनलाईन कक्षाओं , वेबीनार, ऑनलाईन  मीटिंग आदि का उपयोग बहुत  अच्छे से   किया  है । चिकित्सीय इतिहास में  पहली  बार केवल  2-3  माह  में  ही वैक्सीन की  खोज की  गई । यदि  दुनिया  किसी  अच्छे कार्य  को नही  कर  पाई  है  तो  हमारी  कोशिश  होनी  चाहिए  कि  वह  कार्य  हम  सफलतापूर्वक  कर  सकें । 

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इस मौके पर  महाविद्यालय के  प्राचार्य डॉ.  वाय. पी.  सिंह ने  कहा  कि छात्र-छात्राओं को अपने आप को व्यक्त करने के तरीके खोजने होंगें। चाहे कॉपी पर कुछ लिखे या कविता लिखें, चित्र बनाऐं, विडियों बनाऐं, ब्लॉग लिखें या खुद  को  व्यक्त करने कोई न कोई  काम अवश्य करें। ऐसा  करने से तनाव को दूर होता  है और  हर दिन आगे बढ़ने के उत्साह बनता है।यह वायरस मजबूत व्यक्ति को भी हाइपोकॉन्ड्रिअक्स में बदल सकता है।

 इंटरनेट पर इस  रोग  के  बारे में जरुरत से  ज्यादा पढ़ना,उसके लक्षणों का अनुभव करने वाले लोगों के बारे में पढ़ना, किसी को भी परेशान कर  सकता है। शरीर में थोड़ा भी बदलाव होने पर हम  खुद को जांचना शुरू कर सकते हैं  और आपना दिमाग संभावित रोगों के  लिए दौड़ना शुरू कर सकता है। 

 वह यह पता लगाने की कोशिश करने लगता है कि कहीं बीमारी ने पकड़ तो नहीं लिया। भले  ही  बीमारी हम  से  कोसों दूर  हो पर हम चिंताओं से घिर जातेे हैं  और खुद  को बीमार समझने लगते हैं। हमें सुनिश्चित करना  होगा कि घबराहट और तनाव में न रहें क्योंकि यह लंबे समय में हमारी प्रतिरक्षात्मक क्षमता को  कम  करता है ।

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ज्ञान आधारित प्रसिद्ध वैबसाईट विकिपीडिया ने  भी कहा  है  कि कोविड-19 जैसी महामारी के संक्रमण से बचने और अन्य लोगों में इस बीमारी के फैलने, स्वास्थ्य की देखभाल करने और मरने के कारण लोगों के काम और अपनों से सामाजिक दूरियाँ बढ़ गयी है। जिससे व्यक्ति में तनाव की स्थिति बढ़ती जा रही है।

यह महामारी एक दूसरे से छूने से फैलती है इसलिए लोग परिवार में किसी व्यक्ति के संक्रमित, उनकी रक्षा, देखभाल करने से डरे हुए है। साथ ही परिवार के बुजुर्ग और अस्वस्थ्य व्यक्तियों की देखभाल करने से दूर भाग रहे है। इस कारण लोग इस बीमारी से और भी ज्यादा डर रहे है द्य

इस  वेबीनार में सहोद्रा राय  शासकीय महाविद्यालय के अलावा प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों एवं  सागर जिले के शिक्षा विभाग के शिक्षकों, छात्र-छात्राओं ने भाग लिया एवं  लाभ  प्राप्त किया 

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